जोधपुर, गीता भवन रोड स्थित विनायका अस्पताल में मंगलवार को एक बार फिर प्रदर्शन किया गया। करीब साढ़े पांच माह पहले यहां चिकित्सकीय लापरवाही से हुई बच्चे की मौत के बाद परिजनों ने आज फिर यहां प्रदर्शन किया। उनका आरोप था कि अस्पताल प्रशासन झूठे प्रचार- प्रसार से आमजन व मरीजों को ठग रहा है। अस्पताल में आज पथरी जांच का शिविर लगाया गया था। उन्होंने प्रदर्शन के दौरान मरीजों को यहां इलाज नहीं करवाने की अपील की।
दरअसल दुर्गा विहार जयपुर निवासी ध्रुव उर्फ भानू प्रताप को पथरी की दिक्कत होने पर गत वर्ष तीस जुलाई की शाम साढ़े पांच बजे विनायका हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था। अगले दिन 31 जुलाई को एमडीएम हॉस्पिटल के डॉक्टर प्रदीप कुमार शर्मा ने धु्रव का ऑपरेशन किया। इसके अगले दिन सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक उसने कुछ नहीं खाया, तो परिजनों ने डॉक्टर से पूछा, लेकिन डॉक्टर बोलते रहे कि प्राकृतिक नींद लेने दो।

बार-बार कहने के बावजूद डॉक्टरों व स्टाफ ने उसकी परवाह तक नहीं की जबकि, उसके शरीर में सूजन होने लगी थी। कई बार कहने पर रात करीब साढ़े आठ बजे गोयल हॉस्पिटल से बुलाए गए डॉक्टर ने बताया कि बच्चे की हालत गंभीर है। इस पर परिजनों ने उसे रैफर करने की गुहार की और काफी मशक्कत के बाद रात 8.45 बजे उसे रैफर किया, लेकिन ना तो बच्चे को ऑक्सीजन और ना ही एंबुलेंस ही उपलब्ध कराई। किसी तरह परिजन उसे लेकर एम्स गए। वहां उसे वेंटिलेटर पर रखा गया लेकिन सुबह उसकी मौत हो गई। इस मौत के बाद परिजनों व विभिन्न संगठनों ने कई बार प्रदर्शन किया और निजी अस्पताल व डॉक्टर प्रदीप शर्मा के खिलाफ कार्यवाही की मांग की। इस पर संभागीय आयुक्त ने इस मामले की जांच करवाई तो इसमें डॉ. प्रदीप शर्मा दोषी पाए गए। मामले में विनायका अस्पताल का लाइसेंस निरस्त करने की भी मांग की गई थी। मंगलवार को पीडि़त परिजन के एक बार फिर अस्पताल के बाहर पहुंचे और प्रदर्शन किया।