आयुर्वेद विवि में तीन नए विषयों के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम स्वीकृत

  • राज्य सरकार ने तीनों विभागों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम की दी स्वीकृति
  • अब पोस्ट ग्रैजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद में सभी 14 विभागों में हो सकेगा शोध
  • मौलिक सिद्धान्त,रोग एवं विकृति विज्ञान एवं शालाक्य तंत्र विभाग को मिली स्वीकृति
  • कुलपति प्रोफेसर प्रजापति ने राज्य सरकार का जताया आभार

जोधपुर,आयुर्वेद विवि में तीन नए विषयों के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम स्वीकृत। डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय के संघटक पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद जोधपुर में शेष रहे तीन विषयों में स्नातकोत्तर (पीजी) पाठ्यक्रमों की स्वीकृति नवीन शोध कार्यों के लिए राज्य सरकार द्वारा दी गई है। ये विषय हैं मौलिक सिद्धान्त, रोग एवं विकृति विज्ञान व शालाक्य तंत्र विभाग।

यह भी पढ़ें – टॉप टेन में शुमार फरार बीस हजार के इनामी तस्कर पकड़ा गया

अब पोस्ट ग्रैजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद में सभी 14 विभागों में शोध कार्य हो सकेंगे। नए पाठ्यक्रमों के प्रारंभ होने से विश्वविद्यालय ने आयुर्वेद शिक्षा के क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। इन तीन नए विषयों के शुरू होने पर संस्थान के शिक्षकों और संकाय सदस्यों ने राज्य सरकार,कुलपति प्रोफ़ेसर (वैद्य) प्रदीप कुमार प्रजापति एवं कुलसचिव प्रोफेसर गोविंद सहाय शुक्ला का आभार व्यक्त किया। शिक्षकों ने कहा कि इन नए विषयों के समावेश से न केवल छात्रों को विविध और गहन अध्ययन का अवसर मिलेगा बल्कि आयुर्वेद के क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार को भी प्रोत्साहन मिलेगा।

कुलपति प्रोफ़ेसर (वैद्य) प्रदीप कुमार प्रजापति ने कहा कि विश्वविद्यालय का मुख्य उद्देश्य आयुर्वेद शिक्षा को उन्नत और व्यापक बनाना है जिससे छात्र आयुर्वेद के मूल सिद्धांतों और आधुनिक विज्ञान के बीच संतुलन स्थापित कर सकें। नए विषयों का प्रारंभ आयुर्वेद के क्षेत्र में अनुसंधान और शिक्षण को और भी सशक्त बनाएगा।

यह विश्वविद्यालय न केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश में आयुर्वेद शिक्षा का प्रमुख केंद्र बनता जा रहा है। शिक्षकों और छात्रों के उत्साह ने इस पहल को और भी महत्वपूर्ण बना दिया है। कुलसचिव प्रोफेसर शुक्ला ने कहा कि कुलपति प्रो प्रजापति के नेतृत्व में आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में अपने योगदान को और भी मजबूत किया है,जो आने वाले समय में आयुर्वेद की परंपरा और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।