पुलिस को सम्मान मिलेगा, जब वह आम नागरिक से मित्रवत व्यवहार करें- राज्यपाल
वर्चुअल दीक्षांत समारोह
जोधपुर, राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ने कहा कि ब्रिटिश काल से ही पुलिस की दमनकारी छवि ही प्रचारित रही है, जिस कारण आम व्यक्ति पुलिस के पास जाते हुए डरता है। उन्होंने नागरिकों के मन में पुलिस के प्रति सम्मान की भावना पैदा करने के बारे में कार्य किए जाने पर जोर दिया। पुलिस अपराध नियंत्रण के साथ आम नागरिक के मित्र के रूप में भी अपनी पहचान बनाए। उन्होंने कहा कि पुलिस विश्वविद्यालय के जरिए पुलिसिंग की ऐसी व्यवस्था पर कार्य किया जाना चाहिए जिससे पुलिसकर्मी अपने आचार-व्यवहार से पुलिस के प्रति आम जन का विश्वास जीत सकें। वे बुधवार को सरदार पटेल पुलिस, सुरक्षा एवं दाण्डिक न्याय विश्वविद्यालय जोधपुर के दूसरे दीक्षान्त समारोह में राजभवन से ऑनलाइन सम्बोधित कर रहे थे।
कुलाधिपति ने कहा कि पुलिस का कार्य आमजन को सुरक्षा प्रदान करने के साथ ही अपराध मुक्त समाज का निर्माण करना है। उन्होंने आह्वान किया कि पुलिस विश्वविद्यालय गुणवत्तापूर्ण शिक्षण-प्रशिक्षण के साथ मानवतावादी पहलुओं को भी अपनी शिक्षा में शामिल करे। उन्होंने कहा कि कमजोर वर्ग को सहज न्याय प्रदान करने, महिला उत्पीडऩ के प्रकरणों को रोकने और शोषण मुक्ति के लिए वृहद स्तर पर कारगर शिक्षा प्रदान करने की दिशा में इस विश्वविद्यालय को कार्य करना चाहिए।
व्यावहारिकता पर शोध की आवश्यकता
राज्यपाल मिश्र ने अंग्रेजों के दौर से चले आ रहे पुलिस कानूनों की व्यावहारिकता पर शोध एवं अनुसंधान की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि आईपीसी और सीआरपीसी की जो धाराएं प्रचलित हैं, वे आज भी अंग्रेजों के दौर की हैं। यह कानून उस समय बनाए गए थे जब प्राथमिकता भारत के नागरिक नहीं थे, इसलिए इन कानूनों में आमूलचूल बदलाव की जरूरत है। उन्होंने कहा कि साइबर और संगठित अपराधों के बदलते रूपों का सामना करने के लिये पुलिसिंग की नवीन रणनीतियों पर गंभीर विचार-विमर्श की जरूरत है।
अन्वेषण से जुड़ कर छात्र छात्राओं को कराए अवगत
उच्च शिक्षा राज्यमंत्री राजेन्द्र सिंह यादव ने कहा कि अपराधों की बदलती प्रकृति को देखते हुए अपराधियों पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए पुलिस पद्धतियों, शोध एवं अन्वेषण से जुड़े सभी पहलुओं से छात्र-छात्राओं को अवगत कराया जाए। उन्होंने कहा कि आमजन के परिवादों और शिकायतों का त्वरित एवं समयबद्ध निस्तारण सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने पुलिस व्यवस्था में कई तरह के नवाचार किए हैं। थानों में एफआईआर अनिवार्य रूप से दर्ज किए जाने, पुलिस थानों में स्वागत कक्ष के निर्माण, व्हाट्सएप हेल्पलाइन और पुलिस सुदृढ़ीकरण के लिए किए गए कार्यों के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।
समाज का निर्माण किया जा सकता
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर ने इस अवसर पर कहा भारतीय संविधान विधिक या राजनीतिक दस्तावेज ही नहीं है बल्कि सामाजिक दिशा निर्देशक भी है। संविधान के बारे में जागरुकता लाकर ही सत्यनिष्ठ एवं सजग समाज का निर्माण किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जन अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए पुलिस को अपराध विज्ञान, अन्वेषण और समाज शास्त्र की नवीनतम अवधारणाओं के बारे में अद्यतन रखना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि पुलिस समाज में आ रहे सामाजिक, आर्थिक सहित विभिन्न बदलावों से सामने आ रही चुनौतियों से निपटने के लिए स्वयं को तैयार करे।
सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वालों को स्वर्ण पदक
कुलाधिपति मिश्र ने दीक्षान्त समारोह में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक प्रदान किए। विश्वविद्यालय के कुलपति आलोक त्रिपाठी ने प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत कर विश्वविद्यालय की शैक्षणिक,सह-शैक्षणिक गतिविधियों, सामाजिक सरोकारों, परिसर में करवाए जा रहे विकास कार्यों और उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। समारोह के दौरान विश्वविद्यालय के बारे में एक वृत्तचित्र का भी प्रसारण किया गया।
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