ठग गिरोह को पुलिस ने पहुंचाया सलाखों के पीछे
- साइबर ठग गिरोह का मामला
- सरगना की तलाश में पुलिस की टीमें जुटी
- तीन साल से चल रहा था गोरखधंधा
- सरगना के पकड़े जाने पर होगा बड़ा खुलासा
जोधपुर,शहर की शास्त्रीनगर पुलिस ने पांच दिन पहले साइबर ठग गिरोह का खुलासा करते हुए आठ लोगों को पकड़ा था। इनकी रिमाण्ड अवधि खत्म होने पर सभी लोग जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गए हैं। मगर मुख्य अभियुक्त या इनका सरगना भनक लगने के बाद से ही भूमिगत हो गया है। पुलिस उसकी सरगर्मी से तलाश कर रही है। करोड़ों की ठगी के इस खेल में मास्टर माइंड के पकड़े जाने पर बड़े खुलासे की संभावना बनी है।
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शहर में विदेशियों को ठगने वाला मास्टर माइंड पार्थ तीन साल से फर्जी कॉलसेंटर चला रहा था लेकिन किसी को भनक तक नहीं लगी। अब तक उसने करोड़ों डॉलर विदेशियों से ठगे हैं। ठग इतना शातिर है कि वह ऑफिस में होने वाली हर गतिविधि पर ध्यान रखता था। कर्मचारियों को जो कमीशन देता था वह भी मनमर्जी था क्योंकि ठगी के रुपए उसके पास ही आते थे। जितना मर्जी उतने बताया और फिर एक रुपए एक डालर पर कमिशन देता था। पुलिस को जब फर्जी कॉलसेंटर के बारे में पता चला तो मुख्य आरोपी मौके से फरार हो गया। पुलिस ने यहां काम करने वाले आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया था।
इन्हेें भेजा गया जेल
सरदारपुरा थानाधिकारी सोमकरण ने बताया कि शनिवार को शास्त्रीनगर थाना पुलिस ने मौके से आरोपी निकम मिलन पुत्र विनोद राव निवासी अहमदाबाद,इनका वी सुमी पुत्र बिस्टो निवासी नागालैंड,हर्ड अश्विन उपाध्याय पुत्र अश्विल उपाध्याय, आस्टिन माइकल नाडार पुत्र माइकल एन्थनीस निवासी मुंबई,के हुतो बरनावास येपथोमी पुत्र विटोसी निवासी नागालैंड,टॉपलो एयमी पुत्र अकाई एयमी निवासी नागालैंड,वेदांग वापांग उर्फ इमचन पुत्र व्हेटमजन उर्फ टेमजन निवासी नागालैंड और विजय पुत्र मदनराम राजपूत निवासी उत्तराखंड को गिरफ्तार किया था। इनकी रिमाण्ड अवधि खत्म होने पर जेल भेजा गया है। पुलिस ने मौका स्थल से 22 हैंडफोन,एक लेपटॉप चार्जर,तीन राउटर केबल,तीन नेट कनेक्टर, 30 माउस व 25 की बोर्ड जब्त किए हैं। आरोपियों का सरगना अहमदाबाद का मणि नगर का रहने वाला पार्थ भट्ट है। साइबर ठगी पकड़े जाने की भनक लगने पर उसने अपना फोन बंद कर डाला और गायब हो गया है।
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दो तीन महिने में कर्मचारी का बदल डालता
थानाधिकारी ने बताया कि पूछताछ में पता चला है कि पकड़े गए कर्मचारियों में सबसे पुराना तीन महीने पहले ही आया है। बाकी किसी को एक दो कोई दो महीने से ही काम कर रहा है। वह समय-समय पर कर्मचारी बदल देता था।
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