दो बीमा कंपनियों पर हर्जाना

  • जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग
  • बीमा दावा राशि कटौती सेवा में कमी माना

जोधपुर(डीडीन्यूज),दो बीमा कंपनियों पर हर्जाना। मेडीक्लेम बीमा पॉलिसी में दो गृहिणियों के परिवाद मंजूर कर जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग,जोधपुर द्वितीय ने व्यवस्था दी है कि मेडीक्लेम बीमा पॉलिसी की अस्पष्ट शर्तों के आधार पर दावा राशि में की गई कटौती बीमा कंपनी की सेवा में कमी और त्रुटि है।

आयोग अध्यक्ष डॉ यतीश कुमार शर्मा और सदस्य डॉ अनुराधा व्यास ने नेशनल इंश्योरेंस तथा आदित्य बिड़ला हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी पर क्रमश: 15 हजार और 20 हजार रुपए हर्जाना लगाते हुए दस दस हजार रुपए परिवाद व्यय तथा बकाया दावा राशि का 30 दिन में भुगतान करने का आदेश दिया है। पहले मामले में प्रमिला ने कहा कि सर्जरी होने पर उन्होंने 2 लाख 96 हजार 553 रुपए का दावा नेशनल इंश्योरेंस में पेश किया,लेकिन बीमा कंपनी ने मनमाने रूप से 36 हजार 888 रुपए की कटौती कर दी। बाद में थैरेपी व्यय के 45 हजार रुपए के अन्य दावे को यह कहकर नकार दिया कि चिकित्सकीय फीस की व्यय सीमा अदा की जा चुकी है।

जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद मंजूर करते हुए कहा कि थैरेपी डे केयर प्रक्रिया है,जिसमें मशीन, उपकरण और दवाई का उपयोग किया जाता है,जो कदापि डॉक्टरी फीस की श्रेणी में नहीं आती है। उन्होंने अस्पष्ट शर्तों के आधार पर दावा राशि में कटौती को सेवा में कमी और त्रुटि मानते हुए नेशनल इंश्योरेंस कंपनी पर 15 हजार रुपए हरजाना और 10 हजार रुपए परिवाद व्यय लगाते हुए बकाया दावा 81 हजार 888 रुपए मय ब्याज 30 दिन में अदा करने का आदेश दिया। दूसरे परिवाद में कविता ने कहा कि उनकी सर्जरी होने पर उन्होंने 5 लाख 31 हजार 109 रुपए का दावा पेश किया,लेकिन आदित्य बिड़ला हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी ने यह कहते हुए 2 लाख 41 हजार 312 रुपए की कटौती कर दी कि मुंबई के निजी अस्पताल ने युक्तियुक्त राशि नहीं लेकर अत्यधिक शुल्क लिया है। परिवादी की ओर से बहस की गई कि बीमा पॉलिसी में अमुक राशि ही दी जाएगी,ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।

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जिला आयोग ने परिवाद मंजूर करते हुए कहा कि बीमा पॉलिसी में युक्तियुक्त व्यय की न तो कोई व्याख्या की गई है और न व्यय सीमा निर्धारित की गई है। उन्होंने कहा कि दावा कटौती करने से पहले न तो अस्पताल से और न ही परिवादी से कोई पूछताछ की गई। उन्होंने पारदर्शिता के अभाव में इसे सेवा में त्रुटि मानते हुए बीमा कंपनी पर 20 हजार रुपए हरजाना और 10 हजार रुपए परिवाद व्यय लगाते हुए बकाया दावा राशि 2 लाख 41 हजार 312 रुपए 30 दिन में अदा करने का बीमा कंपनी को आदेश दिया। दोनों ही परिवाद में परिवादी की ओर से अधिवक्ता अनिल भंडारी ने बहस की।