जिला संकट स्थिति समुह व स्थानीय संकट स्थिति समुह की बैठक आयोजित
जोधपुर, एडीएम प्रथम मदनलाल नेहरा की अध्यक्षता में उप मुख्य निरीक्षक कारखाना एवं बॉयलर मुकुल राजवंशी ने जिला संकट स्थिति समूह की बैठक ली। बैठक में उपमुख्य निरीक्षक कारखाना एवं बाॅयलर ने बताया कि सयुक्त सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के 16 मार्च 2021 के क्रम में आदेशित है कि रसायन दुघर्टना (आपात योजना, तैयारी और अनुक्रिया) नियम 1996 की पालना में गठित केंद्रीय संकट स्थिति समूह द्वारा राज्य सरकार ने आंध्र प्रदेश द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति के तकनीकी सुझावों को स्वीकार कर लिया है। जिसे जिला संकट स्थिति समूह को अवगत कराते हुए, राज्य संकट स्थिति समूह को सूचना प्रेषित की गई।
उन्होने बताया कि इसमें मुख्य रूप से प्रमुख दुर्घटना जोखिम कारखानों हैजार्ड एवं आॅपरेबिलिटी स्टडी किया जाना, सेफ्टी आॅडिट व एनवाॅयरमेन्ट आॅडिट प्रतिवर्ष करवाया जाना सुनिश्चित किया जाए। उन्होने बताया कि सेफ्टी आॅफिसर सेफ्टी कोर्स में कम से कम एक वर्ष डिप्लोमा/ डिग्रीधारक होना चाहिए। उन्होने बताया कि म्युचल ऐड ग्रुप में महत्वपूर्ण व्यक्तियों के फोन नम्बर जोड़े जाएं व मेटेरियल सेफ्टी डाटा सीट तैयार करवायी जाए एवं सभी संबंधित इकाईयां व अधिकारी पारस्परिक रूप से सूचनाओं को साझा कर सके।
इस संदर्भ में केंद्रीय संकट स्थिति समूह द्वारा क्राइसिस अलर्ट सिस्टम-रेड बुक, जो दिसंबर 2020 तक अद्यतन है के संबंध में जिला संकट सिटी समूह सदस्यों को अवगत कराया गया। उन्होने बताया कि राजस्थान कंट्रोल ऑफ इंडस्ट्रियल मेजर एक्सीडेंट हजाड्र्स रूल 1991 के तहत प्रत्येक कब्जेदार से यह अपेक्षित है कि वह ऑनसाइट इमरजेंसी प्लान को अद्यतन स्थिति में रखें जिसकी एक प्रति व्यवहार में उपलब्ध हो सके तथा जिस के संबंध में कब्जेदार द्वारा प्रत्येक 6 महीने में एक मॉक ड्रिल कराकर प्रशासन व अन्य विभागों से पर्यवेक्षण के दौरान प्राप्त निर्देशों को सम्मिलित करते हुए ऑनसाइट इमरजेंसी प्लान को अपडेट कर पुनः प्रति विभाग को प्रेषित कराए।
उन्होंने बताया कि मॉक ड्रिल में सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों, निजी क्षेत्र की इकाइयों के प्रतिनिधि को आमंत्रित किया जाए व निजी इकाइयां इन्हीं आरएमडी की वेल प्रैक्टिस को अपनी इकाइयों में लागू करें। प्रत्येक कब्जेदार से यह भी अपेक्षित है कि वह अपने कारखाने की सेफ्टी रिपोर्ट तैयार करवाए जिसकी एक प्रति विभाग को प्रेषित की जाए तथा उक्त रिपोर्ट पर नियम अनुसार सक्षम एजेंसी से हर वर्ष में सेफ्टी ऑडिट करवाएं और उसकी प्रति 30 दिन में विभाग को उपलब्ध करवाएं।
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