अतिक्रमण हटाकर कब्जा सुुपुर्द करने के आदेश पारित
राजस्थान हाईकोर्ट
जोधपुर, राजस्थान उच्च न्यायालय ने किराया अधिकरण ने एक व्यक्ति के पक्ष में डिक्री पारित की और संबंधित मकान से अतिक्रमण हटाकर कब्जा सुपुर्द करने के आदेश दिए। इस डिक्री की पालना करवाने के लिए पुलिस से जाब्ता उपलब्ध करवाने को कहा तो 14 पुलिसकर्मियों के बदले 1.17 लाख रु. जमा करवाने को संबंधित व्यक्ति को कहा। ऐसे में व्यक्ति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इस पर जस्टिस विजय विश्नोई ने पुलिस कमिश्नर के आदेश को अपास्त करते हुए कहा कि पुलिस कोर्ट की डिक्री के निष्पादन के लिए फोर्स भेजने के लिए बाध्य है। इसके लिए राशि की डिमांड नहीं कर सकती। 10 दिन में पुलिस फोर्स उपलब्ध कराने के पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिए।
याचिकाकर्ता वलीद अहमद की ओर से अधिवक्ता मनीष पटेल ने याचिका दायर की। अधिवक्ता पटेल ने कोर्ट को बताया कि अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (किराया अधिकरण) ने वलीद अहमद बनाम गजेंद्रसिंह मामले में संजय चौक उदयमंदिर रोड पर स्थित जायदाद एक दुकान व पीछे निर्मित मकान है। इसमें पूर्व में ऑफसेट संचालित होती थी। वर्तमान में यह दुकान बंद है। इस प्रकरण में अदालत द्वारा वादग्रस्त परिसर का रिक्त आधिपत्य याची से अयाची को दिलाने का आदेश हुआ है।
पुलिस जाब्ते के लिए मांगे रूपए
पुलिस उपायुक्त पूर्व ने तीन सब इंस्पेक्टर सहित कुल 14 पुलिसकर्मियों का जाब्ता मांगा है। पुलिस आयुक्त कार्यालय से जारी आदेश के अनुसार संबंधित से 1 लाख 17 हजार 562 रु. जमा करवाने के बाद थानाधिकारी उदयमंदिर से संपर्क करने तथा अतिक्रमण की तारीख तय होने के बाद पुलिस जाब्ता उपलबध करवाया जाना सुनिश्चित करने को कहा। यह आदेश एक फरवरी 22 को जारी किया गया था।
अधिवक्ता ने हाईकोर्ट में तर्क दिया कि यह गलत है। सरकार की ओर से अधिवक्ता कैलाश चौधरी ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, जयपुर द्वारा 5 जनवरी 2022 को जारी आदेश को प्रस्तुत किया। इस आदेश के अनुसार ही पुलिस कमिश्नर जोधपुर द्वारा आदेश जारी किया गया है।
पुलिस सहायता प्रदान करने के लिए बाध्य
जस्टिस विश्नोई ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि उनका मत है कि यह परिपत्र न्यायालय के आदेश, यानि डिक्री के निष्पादन के प्रयोजन के लिए पुलिस सहायता प्रदान करने के संबंध में नहीं है। पुलिस न्यायालय की डिक्री के निष्पादन के लिए पुलिस सहायता प्रदान करने के लिए बाध्य है। वह किसी भी व्यक्ति को इस उद्देश्य के लिए कोई भी राशि जमा करने के लिए नहीं कह सकती है। कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए 1 फरवरी को जारी किए आदेश को निरस्त कर दिया। साथ ही पुलिस कमिश्नर को आज से 10 दिनों की अवधि के भीतर याचिकाकर्ता या कोर्ट कमिश्नर को न्यायालय के आदेश की पालना के लिए पर्याप्त पुलिस बल उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।
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