जोधपुर, राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश दिनेश मेहता ने उपस्वास्थ्य केन्द्र चौकडी ब्लॉक रेल मगरा जिला राजसमंद में महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता के पद पर कार्यरत उषा धांधड़ा के स्वैच्छिक सेवानिवृति आदेश को अस्वीकार करने के आदेश पर प्रसंज्ञान लेते हुए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष उषा धांधड़ा ने एक रिट याचिका पेश की थी। उसमें उसने बताया कि मधुमेह के का

रण उसे एक आंख से दिखना पूर्ण रूप से बंद हो गया है व दूसरी आंख में भी मोतियाबिंद हो जाने के कारण दिखना बंद हो गया। इससे वह अपने कार्य को सम्पादित नहीं कर सकती है। अत. उसने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के समक्ष अपने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए 16 सितंबर 2020 को आवेदन करते हुए 31 दिसंबर 2020 से स्वैच्छिक सेवानिवृति की मांग की थी।

विभाग द्वारा उसके स्वैच्छिक सेवानिवृति के प्रार्थना पत्र को यह कहते हुए 31 दिसंबर 2020 को खारिज कर दिया कि समय की अनुपलब्धता होने के कारण प्रार्थना पत्र अस्वीकार (खारिज) किया जाता है। इसके बाद प्रार्थी द्वारा 13 जनवरी 2021 को पुन: स्वैच्छिक सेवानिवृति का आवेदन किया गया। इसमें भी उसने स्पष्ट रूप से निवेदन किया कि मधुमेह के कारण एक आखं से पूर्ण रूप से दिखना बंद हो गया है व दूसरी आंख में भी मोतियाबिंद होने के कारण उसको आखो मे इंजेक्शन लग रहे है इस सन्दर्भ में मेडिकल बोर्ड द्वारा प्रार्थी के पक्ष में चिकित्सकीय प्रमाण पत्र भी जारी किया जा चुका है।

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अत: उसका स्वैच्छिक सेवानिवृति का प्रार्थना पत्र स्वीकार कर उसे 30 अप्रेल 2021 को सेवानिवृत किया जाए। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस बार 6 मई 2021 के आदेश से उसका प्रार्थना पत्र यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि अभी कोरोना वायरस की महामारी चल रही है। अत: उसका स्वैच्छिक सेवानिवृति का प्रार्थना पत्र अस्वीकार (खारिज) किया जाता है।

इस पर प्रार्थी ने अपने अधिवक्ता प्रमेन्द्र बोहरा के माध्यम से उच्च न्यायालय में व्यथित होकर रिट याचिका प्रस्तुत की। प्रार्थी के अधिवक्ता का उच्च न्यायलाय के समक्ष यह तर्क था कि प्रथमतया: राजस्थान सिविल सेवा पेंशन नियम के नियम 50(1) मे यह स्पष्ट प्रावधान है कि कोई भी कार्मिक 15 वर्ष की सेवा पूर्ण होने पर कभी भी स्वैच्छिक सेवानिवृति ले सकता है। इसके लिए किसी भी कारण को बताने की आवश्यकता नहीं है।

विभाग द्वारा नियम 50(1) का उल्लंघन किया गया है। दूसरा विभाग द्वारा अन्य कार्यरत महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता को स्वैच्छिक सेवानिवृति 30 अप्रेल 2021 से प्रदान की गई है। तो प्रार्थी का ही स्वैच्छिक सेवानिवृति का प्रार्थना पत्र अस्वीकार करना समानता के अधिकार का भी उल्लघंन है। इस पर राजस्थान उच्च न्यायालय ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को नोटिस जारी करते हुए 15 जुलाई तक जवाब प्रस्तुत करने का आदेश पारित किया।