एक स्वस्थ और आदर्श जीवन का सूत्र है कथक नृत्य-बोराणा
जोधपुर,कत्थक केवल नृत्य नहीं है यह जीवन कि वह पाठशाला है, जिसमें एक अबोध बालक मानसिक एवं शारीरिक रूप से स्वस्थ नागरिक बनता है। वैसे भी कलाओं का मूल प्रयोजन मानव संस्कृति की रक्षा करना होता है। उसी प्रकार कथक का भी यही मूल प्रयोजन है कि वह समाज में स्वस्थ मानसिकता वाले हष्ट पुष्ट नौजवानों को तैयार करें। कत्थक सीखने वाला हर बालक हर बालिका भले ही विश्व प्रसिद्ध कलाकार नहीं बनता परंतु अपने जीवन को उच्च मूल्यों के साथ जीवन जीने के लिए कटिबद्ध हो जाता है। कथक आज समाज की जरूरत है। कत्थक केवल नृत्य नहीं जीवन जीने की एक अनुपम विधि है। राजस्थान राज्य मेला प्राधिकरण के उपाध्यक्ष राज्यमंत्री रमेश बोराणा आज राजस्थान संगीत नाटक अकादमी के कथक नृत्य कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में अपने विचार व्यक्त करते हुए कत्थक को ईश्वर की आराधना माना है।
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संगीत नाटक अकादमी अध्यक्ष बिनाका जेश मालू ने बोराणा का स्वागत किया एवं अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यशाला का शुभारंभ किया। राजस्थान संगीत नाटक अकादमी द्वारा कला एवं संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु निरंतर प्रयास की श्रंखला में 24 से 12 जून तक यह कार्यशाला रहेगी। जिसमें जोधपुर की बालिकाएं अंतरराष्ट्रीय गुरु महुआ कृष्णदेव से कत्थक की बारीकियां सीख रही हैं। सुनीता अग्रवाल के सानिध्य में कथक शैली का नृत्य नवीन आयाम छू रहा है। अकादमी सचिव डॉक्टर सूरज राव ने बताया कि 25 मई को प्रातः 8 बजे से बाल नाट्य शिविर का शुभारंभ किया जा रहा है।इस शिविर में नाट्य परंपरा एवं नाट्य विधा सुक्ष्म प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए प्रतिष्ठित रंगकर्मी अभिषेक मुद्गल जयपुर से आ रहे हैं। यह शिविर 25 मई से 8 जून तक अकादमी परिसर में संचालित होगा।
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