जुगल परिहार ने पूरा जीवन मायड़ भाषा को समर्पित कर दिया-मेहर

जुगल परिहार याद में प्रतिवर्ष 11 हजार रुपए के पुरस्कार की घोषणा

जोधपुर,जुगल परिहार ने पूरा जीवन मायड़ भाषा को समर्पित कर दिया- मेहर। ऐसा समर्पण विरले लोग ही कर पाते हैं। इसलिए ऐसे लोगों की याद को स्थाई बनाये रखना हमारी जिम्मेदारी है। यह विचार जुगल परिहार की पुण्यतिथि पर भारतीय साहित्य विकास न्यास,राजस्थान की ओर से जेआईए में आयोजित कार्यक्रम ‘ओळू़ं रै आंगणियै’ में बतौर अध्यक्ष प्रो.ज़हूर खान मेहर ने व्यक्त किए।

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कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माणक पत्रिका के संपादक पदम मेहता थे। मेहता ने जुगल परिहार के साथ 40 वर्ष की अपनी साहित्यिक सफर को याद करते हुए कई संस्मरण सुनाए। जुगल परिहार की याद को चिरस्थाई बनाये रखने के लिए माणक प्रकाशन की ओर से शोधपीठ की स्थापना का संकल्प दोहराया।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता जेएनवीयू के डॉ गजेसिंह राजपुरोहित ने जुगल परिहार को सादगी एंव संघर्ष का पर्याय बताते हुए कहा कि उन्होंने एक तपस्वी की तरह जीवनभर राजस्थानी भाषा साहित्य की निस्वार्थ भाव से सतत सधना की थी,जो राजस्थानी साहित्य के इतिहास में एक अनूठी मिशाल है। डॉ राजपुरोहित ने कहा कि उनके समग्र साहित्यक अवदान पर शोध की महत्ती आवश्यकता है।

कार्यक्रम व्यवस्थापक लक्ष्मीकांत छेनू ने बताया कि विशिष्ट अतिथि डॉ सुरेश व्यास ने जुगल परिहार से जुड़े बारीक पहलुओं की चर्चा करते हुए संस्मरण सुनाए। विशिष्ट अतिथि ख्यातनाम ललित निबंधकार सत्यदेव सवितेंद्र ने जुगल परिहार से जुड़े संस्मरण प्रस्तुत करते हुए श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।

कार्यक्रम में साहित्यकार मीठेश निर्मोही, डिंगल कवि मोहन सिंह रतनू, डॉ सत्येन व्यास,डॉ.निधि गहलोत तथा वरिष्ठ कवियत्री दमयंती कच्छवाह ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर स्व. जुगल परिहार की पुत्री तेजस्विता परिहार ने उनकी याद में प्रतिवर्ष 11 हजार रुपए का पुरस्कार की घोषणा की।

उपन्यासकार संतोष चौधरी,छगनराज राव,दीपा परिहार, डॉ काळूखान देशवाली,दिलीप राव, सैयद मुन्नवर अली,डॉ मनीष देव, रहमतुल्लाह,सरला सोनी,निर्मला राठौड़,तर्नीजा मोहन राठौड़, लक्ष्मनदान लालस सहित साहित्य एवं पत्रकारिता से जुड़े गणमान्य लोग उपस्तिथ थे। कीर्ति परिहार ने सभी अतिथियों व जोधपुर इंडस्ट्रीज एसोशिएशन के अध्यक्ष एनके जैन का आभार व्यक्त किया। संचालन वाजिद हसन काजी ने किया।अंत में सुप्रसिद्ध साहित्यकार दीपचंद सुथार को श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।