जोधपुर: सेकंड हैंड वाहन विक्रेताओं के लिए जोधपुर पुलिस का सख्त आदेश
- सीसीटीवी,पहचान पत्र,लेन-देन रजिस्टर अनिवार्य
- उल्लंघन पर होगी कड़ी कार्रवाई
- शांति व्यवस्था और अपराध नियंत्रण हेतु भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के तहत निषेधाज्ञा लागू
- 18 जून से 16 अगस्त तक प्रभावी रहेगा आदेश
- प्रावधानों का उल्लंघन दंडनीय अपराध
जोधपुर(डीडीन्यूज),जोधपुर: सेकंड हैंड वाहन विक्रेताओं के लिए जोधपुर पुलिस का सख्त आदेश।पुलिस उपायुक्त (मुख्यालय एवं यातायात),आयुक्तालय जोधपुर शैलेन्द्र सिंह इन्दौलिया ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 की धारा 163 के अंतर्गत प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए, शांति व्यवस्था बनाए रखने,जान- माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने एवं आपराधिक गतिविधियों की रोकथाम के लिए संपूर्ण पुलिस आयुक्तालय क्षेत्र में सेकंडहैंड वाहनों की खरीद-फरोख्त से जुड़े डीलरों, एजेंटों एवं कबाड़ियों के लिए निषेधाज्ञा आदेश जारी किया है।
यह आदेश 18 जून 2025 से 16 अगस्त 2025 तक प्रभावशील रहेगा या पूर्व में निरस्त किए जाने पर उस तिथि तक लागू रहेगा।
जारी आदेशानुसार,ऐसे समस्त डीलर/एजेंट/कबाड़ी जो मोटर साइकिल,स्कूटर,कार आदि सेकंड हैंड वाहनों की खरीद-बिक्री का व्यवसाय करते हैं,उन्हें प्रत्येक लेन-देन का स्पष्ट रिकॉर्ड रखना अनिवार्य होगा।
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ये व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएंगी
1.विक्रेता और क्रेता का विवरण रजिस्टर में संधारित करें,जिसमें उनका फोटो तथा पहचान पत्र (जैसे आधार कार्ड,पैन कार्ड,ड्राइविंग लाइसेंस,राशन कार्ड आदि) संलग्न हों।
2.वाहन के वैध कागजात,यथा रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC), फॉर्म-29 व 30 और डिलीवरी लेटर की विधिवत प्रति रजिस्टर के साथ रखें। इन दस्तावेजों पर दिनांक का स्पष्ट उल्लेख आवश्यक है।
3.डीलर/एजेंट यह सुनिश्चित करेंगे कि बेचे जा रहे वाहन का स्वामित्व प्रमाणिक है और विक्रेता द्वारा प्रस्तुत पहचान दस्तावेज वाहन के रजिस्ट्रेशन से मेल खाते हों।
4.यदि कोई व्यक्ति या लेन-देन संदिग्ध प्रतीत हो,तो उसकी सूचना तत्काल संबंधित थाना प्रभारी को दी जाए।
5.प्रत्येक वाहन विक्रेता स्थल पर उचित गुणवत्ता वाले CCTV कैमरे स्थापित किए जाएं,जिनमें रेकॉर्डिंग की प्लेबैक सुविधा उपलब्ध हो और परिसर के अंदर-बाहर की समुचित रिकॉर्डिंग सुनिश्चित की जा सके ताकि खरीददार व विक्रेता की पहचान की जा सके।
पुलिस उपायुक्त इन्दौलिया ने स्पष्ट किया कि उपरोक्त आदेश का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति या प्रतिष्ठान पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 एवं अन्य सुसंगत विधिक प्रावधानों के अंतर्गत दंडात्मक अभियोग चलाया जाएगा।