जोधपुर: पत्नी से मिलने पहुंचा और धरा गया 25 हजार का इनामी अपराधी

  • रेंज पुलिस का ऑपरेशन फोर्टरेस्ट
  • पड़ौसी को अंजाने नंबर से पत्नी के लिए देता था मैसेज

जोधपुर(डीडीन्यूज),जोधपुर: पत्नी से मिलने पहुंचा और धरा गया 25 हजार का इनामी अपराधी। जोधपुर रेंज की साइक्लोनर टीम ने अवैध मादक पदार्थ तस्करों पर लगातार कहर जारी रखते हुए 25 हजार रुपए के एक इनामी अपराधी को पकड़ा है। हालांकि वह पुलिस को कई बार चकमा देकर फरार हुआ लेकिन साइक्लोनर टीम ने उसे ऑपरेशन फोर्टरेस्ट चलाकर पकड़ ही लिया।

पुलिस महानिरीक्षक विकास कुमार ने बताया कि साइक्लोनर टीम ने बरसिंगो का बास,पुलिस थाना मतोड़ा,जिला फलोदी निवासी दुर्गाराम पुत्र जेठाराम मेघवाल को पकड़ा है। आरोपी दुर्गाराम आठवी कक्षा तक पढ़ाई करने के पश्चात पिता की आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से पढ़ाई छोड़कर पिता का हाथ बंटाने के लिए पत्थर की खदानों में काम करता था।

पत्थर की खानों में ड्राइविंग का काम करने के दौरान ही जोधपुर में कालीबेरी क्षेत्र में किराये का कमरा लेकर रहकर मजदूरी करने लगा। किराये के मकान के पड़ोस में रहने वाले तस्कर किरायेदार की ऐशो आराम की जिंदगी देखकर उसका मन भी विचलित होने लगा। दूसरी तरफ किरायेदार कालू को भी अपने अवैध कारोबार में एक साथी की जरूरत थी। धीरे-धीरे दोनों के बीच सामान्य जान पहचान प्रगाढ़ दोस्ती में बदलने लगी एवं पड़ोसी कालू द्वारा प्रतिदिन पार्टियों का आयोजन किया जाने लगा। इस दौरान उसने तस्करी में साथ देने की पेशकश की। इस तरह आरोपी दुर्गाराम तस्करी के धंधे में उतर गया।

ड्राइविंग में दक्ष,दो साल तक काटी फरारी 
ड्राइविंग में दक्ष दुर्गाराम अवैध धन्धे में उतरते हुए कालू के लिए डोडा पोस्त से भरा ट्रक मेवाड़ से लेकर मारवाड़ में मण्डली तक पहुंचाने वाला ही था कि पुलिस ने ट्रक पकड़ लिया,पर दुर्गाराम ट्रक छोड़कर भागने में सफल हो गया। दुर्गाराम न तो पैसे कमा सका और न ही ऐशो आराम की जिन्दगी जी पाया। उल्टा दो साल से फरारी के दौरान पुलिस के भय से दर दर की ठोकरे खाने को मजबूर हो गया। दुर्गाराम के विरूद्व मादक पदार्थ तस्करी का प्रकरण दर्ज होने के पश्चात पिता ने भी पुत्र से दूरी बना ली।

कच्चे रास्ते से आता और रिश्तेदार के यहां पत्नी से मिलता 
साइक्लोनर टीम के विश्लेषण से यह सामने आया कि दुर्गाराम अपनी पत्नी से मिलने के लिए अपने दूर के रिश्तेदार के वहां जाता था तथा पत्नी को भी वहीं बुला लेता। पत्नी के उक्त ठिकाने पर पहुंचने के बाद वह कच्चे रास्ते से बाइक से वहां जाता। फरारी के दौरान होशियारी बरतते हुए दुर्गाराम मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करता था तथा पत्नी से सीधे बात न करके एक करीबी पड़ौसी को किसी भी अनजाने नम्बर से फोन करके संदेश दे दिया करता था। पडौसी यह बात स्वयं जाकर पत्नी को बता आता था।

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साइक्लोनर टीम ने धरा छ्द्म भेष 
टीम ने छदम भेष में दुर्गाराम के परिवार के आवागमन पर निगरानी रखनी शुरू की। जब भी दुर्गाराम की पत्नी अपने घर से रिश्तेदार के घर जाती तो साइक्लोनर टीम के कान खड़े हो जाते। दो-तीन बार असफल होने पर यह तकनीक लगातार लगाई गई तो सफलता हाथ लगी।