चौथे दिन महारथी का प्रभावशाली मंचन
32वां ओम शिवपुरी नाट्य समारोह
जोधपुर,चौथे दिन महारथी का प्रभावशाली मंचन। 32वें ओम शिवपुरी स्मृति राष्ट्रीय स्तर की नाट्य समारोह के चौथे दिन शनिवार को जय नारायण व्यास स्मृति भवन, टाउन हॉल में विभांशु वैभव लिखित और अभिषेक मुद्गल निर्देशित नाटक महारथी का प्रभावशाली मंचन किया गया।
इसे भी पढ़ना चाहेंगे आप – सिरोड़ी गांव में हुई नकबजनी का खुलासा,दो गिरफ्तार
राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर और उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज के सहयोग से इस नाटक का मंचन किया गया,जिसमें कर्ण की त्रासदी और मानसिक पीड़ा को जीवंत किया गया।
कर्ण की त्रासदी का मर्मस्पर्शी चित्रण
नाटक महारथी कर्ण की अद्वितीय कहानी को प्रस्तुत करता है,जिसमें समाज के अभिजात वर्ग द्वारा शूद्र कहकर अपमानित किए गए कर्ण के जीवन की पीड़ा को दिखाया गया। कर्ण की मां कुन्ती,अर्जुन,द्रोपदी, द्रोणाचार्य द्वारा किए गए अपमान और चुनौती ने कर्ण के भीतर गहरे घाव छोड़े,जिसे मंच पर अत्यंत सजीव ढंग से प्रस्तुत किया गया।
सशक्त कलाकारों की प्रभावशाली प्रस्तुति
रंग मस्ताने ग्रुप जयपुर के विवेक जाखड़ ने कर्ण की भूमिका निभाई, जबकि दिव्यांश शिवनानी ने अर्जुन का किरदार साकार किया। सुधांशु शुक्ला ने कृष्ण की भूमिका को अपने सधे हुए अभिनय और संवादों के साथ मजबूती से निभाया। नाटक के अंत में महायुद्ध की भविष्यवाणी करते हुए कृष्ण ने दर्शकों को रोंगटे खड़े कर देने वाले संवादों से बांधे रखा।
माता-पुत्र के बीच का मार्मिक संवाद
नाटक में एक खास क्षण तब आया, जब श्वेता चैलागाई खत्री ने माता कुन्ती की भूमिका निभाते हुए कर्ण के साथ हृदयस्पर्शी संवाद प्रस्तुत किए। युद्ध से पहले कवच-कुंडल रहित कर्ण और उसकी मां के बीच हुआ संवाद दर्शकों के दिलों को गहराई से छू गया।
अन्य कलाकारों का सजीव अभिनय
नाटक में देवेन्द्र स्वामी ने दुर्योधन, निशांत ने द्रोणाचार्य और यशवनी ने वृषाली की भूमिका निभाई। कोरस में रोशीक,मोहित और रितिका ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। नाटक की घटनाओं को और भी सजीव बनाने में सावन जांगिड़ के प्रकाश प्रभाव ने अहम भूमिका निभाई।
नाट्य समारोह का समापन रविवार को प्रयागराज के सिद्धार्थ पाल द्वारा निर्देशित नाटक राजा बूटीफुल के मंचन से होगा।