आईआईटी जोधपुर ने मनाया शिक्षक दिवस
- शिक्षण और मार्गदर्शन में उत्कृष्टता के लिए संकाय सदस्यों को किया सम्मानित
- शिक्षण,मार्गदर्शन और शिक्षा व अनुसंधान के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में उत्कृष्ट योगदान के लिए फैकल्टी सदस्यों को किया सम्मानित
- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा,अनुसंधान नवाचार और मातृभाषा आधारित शिक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई
जोधपुर(डीडीन्यूज),भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जोधपुर (आईआईटी जोधपुर) ने शिक्षक दिवस को गर्व और श्रद्धा के साथ मनाया,जिसमें शिक्षकों के अमूल्य योगदान को युवा मनों के पोषण और राष्ट्र निर्माण में स्मरण किया गया। यह अवसर डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती को भी समर्पित था,जो एक महान शिक्षक, दार्शनिक और भारत के दूसरे राष्ट्रपति थे।
समारोह की शुरुआत सरस्वती वंदना,दीप प्रज्वलन और डॉ. राधाकृष्णन को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ हुई। इसके पश्चात आईआईटी जोधपुर के निदेशक प्रो. अविनाश कुमार अग्रवाल ने शिक्षकों की भूमिका पर बल देते हुए कहा कि शिक्षण केवल पाठ्यक्रम समाप्त करना नहीं,बल्कि जीवन गढ़ना और राष्ट्र निर्माण करना है। जब हम पढ़ाते हैं,तो विकसित भारत का पोषण करते हैं;जब हम मार्गदर्शन करते हैं,तो आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करते हैं और जब हम प्रेरित करते हैं तो अपने सपनों का भारत गढ़ते हैं। एक सच्चे गुरु को पदों या उपाधियों से नहीं बल्कि विद्यार्थियों में स्थापित मूल्यों,जगाई गई जिज्ञासा और संवारे गए चरित्र से याद किया जाता है। यह केवल एक पेशा नहीं,बल्कि एक पवित्र कर्तव्य और जीवन भर की जिम्मेदारी है ऐसे नेताओं,नवप्रवर्तकों और उत्तम मानवों का निर्माण करना जो हमारे राष्ट्र के सर्वोच्च आदर्शों को आगे बढ़ाएं।
संस्थान द्वारा शिक्षण उत्कृष्टता पुरस्कार और विशिष्ट शिक्षक पुरस्कार प्रदान किए गए,जो उन फैकल्टी सदस्यों को मान्यता देते हैं, जिन्होंने पारंपरिक शिक्षण से परे जाकर छात्रों को प्रेरित और मार्गदर्शित किया है। ये पुरस्कार आईआईटी जोधपुर की अकादमिक गुणवत्ता,समावेशिता और छात्र सफलता के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं।
शिक्षण उत्कृष्टता पुरस्कार उन फैकल्टी सदस्यों को प्रदान किए गए जिन्होंने शैक्षणिक वर्ष 2024-25 में छात्रों से प्राप्त पाठ्यक्रम प्रतिक्रिया के आधार पर शिक्षण में निरंतर उत्कृष्टता दिखाई। इस पुरस्कार से कक्षा शिक्षण और सीखने की प्रक्रिया में उत्कृष्ट योगदान को मान्यता दी गई।
इन संकाय सदस्यों को किया पुरस्कृत
डॉ.पंकज शेषराव चव्हाण (सीईटी),
डॉ.एस श्रीवत्स श्रीनिवास (स्कूल ऑफ एआई एंड डीएस),डॉ.किरण कुमार राजशेखर हीरेमठ (गणित), डॉ.राजेन्द्रनगर(विद्युतअभियांत्रिकी),डॉ.अंशुमान पॉल (कंप्यूटर विज्ञान एवं इंजीनियरिंग),डॉ.अक्षय मौडगिल(विद्युत अभियांत्रिकी)।
विशिष्ट शिक्षक पुरस्कार संस्थान के सभी वर्तमान एवं पूर्व छात्रों द्वारा नामांकन के आधार पर प्रदान किए गए। यह पुरस्कार शिक्षकों के दीर्घकालिक प्रभाव को शिक्षण, मार्गदर्शन और समग्र शैक्षणिक अनुभव पर दर्शाता है।
इन्हें मिला पुरस्कार
डॉ.निशांत कुमार(विद्युत अभियांत्रिकी),डॉ.राजलक्ष्मी चौहान (विद्युत अभियांत्रिकी),डॉ.विग्नेश मुरलीधरन (स्कूल ऑफ एआई एंड डीएस)।
समारोह में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जोधपुर की एक अनूठी पहल पर आधारित एक वीडियो भी प्रदर्शित किया गया,जिसमें बीटेक प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रम हिंदी (संवादी भाषा मोड) में पढ़ाए जाने को दिखाया गया। यह प्रयास मातृभाषा पहल और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप है।
मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद राजेन्द्र गहलोत ने आईआईटी जोधपुर के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि राजस्थान में हमें आईआईटी जोधपुर पर गर्व है। विकसित भारत का निर्माण हम सभी की साझा जिम्मेदारी है और हमारे युवाओं के कंधों पर राष्ट्र निर्माण का उत्तरदायित्व है। हम विश्वगुरु बनने का स्वप्न संजोते हैं, और आज सम्मानित हो रहे शिक्षक हमें उस दिशा में मार्गदर्शन देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस विशेष अवसर पर सभी शिक्षकों को हार्दिक शुभकामनाएं।
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विशिष्ट अतिथि ले.जनरल एवीएस राठी,एसएम,वीएसएम,जीओसी, कोणार्क कोर ने अपने प्रेरणादायक संबोधन में कहा कि भारतीय सेना में प्रशिक्षक रीढ़ की हड्डी के समान होते हैं।वे हमें मूल्य,ईमानदारी,अनुशासन और समर्पण सिखाते हैं,जो हमें व्यावसायिक जीवन और युद्ध जैसे कठिन समय में मार्गदर्शन देते हैं। युद्धक्षेत्र में कई जीवन हमारे उस्तादों की दी गई समझदारी के कारण ही बचते हैं। आईआईटी जोधपुर एक आधुनिक गुरुकुल की भांति कार्य करता है जहां अनुसंधान और नवाचार अनुशासन के साथ मिलकर ऐसी तकनीकों का निर्माण करते हैं जो राष्ट्र को सशक्त और सुरक्षित बनाते हैं।
उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जोधपुर में स्थित मानेकशॉ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की भी सराहना की, जो एआई,साइबर सुरक्षा,मानवरहित प्रणालियों और सूचना प्रभुत्व जैसे क्षेत्रों में अकादमिक और रक्षा सहयोग का एक अनुकरणीय मॉडल है।
समारोह का समापन राष्ट्रगान और छात्रों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ हुआ,जिसने गुरु- शिष्य परंपरा की भावना और शिक्षा, अनुसंधान एवं नवाचार के माध्यम से विकसित भारत निर्माण के संकल्प को और दृढ़ किया।