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रैगिंग के मामले में मानव अधिकार आयोग ने लिया प्रसंज्ञान

रैगिंग के मामले में मानव अधिकार आयोग ने लिया प्रसंज्ञान

दस दिन में रिपोर्ट सौंपने का आदेश

जोधपुर,शहर के डॉक्टर एसएन मेडिकल कॉलेज में 2022-23 बैच के स्टूडेंट्स के साथ रैगिंग के मामले में मानव अधिकार आयोग ने प्रसंज्ञान लिया है। आयोग के अध्यक्ष जस्टिस गोपालकृष्ण व्यास ने जिला कलेक्टर को आदेश जारी कर 10 दिन में मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपने को कहा है।

अपनी टिप्पणी में आयोग ने कहा कि चिकित्सा महाविद्यालयों में धरती के भगवान कहे जाने वाला चिकित्सक बनने के लिए शिक्षा ग्रहण करने आने वाले स्टूडेंट के साथ दुर्व्यवहार (रैगिंग) मानवता को शर्मसार करने वाला गम्भीर आपराधिक कृत्य है। मानव सभ्यता व मानवीय संस्कारों के विपरीत इस प्रकार के दुर्व्यवहार (रैगिंग) से पीड़ित छात्रों की मानसिकता पर काफी हानिकारक प्रभाव पडऩा सम्भावित रहता है।

पीडि़त छात्र कई बार निराशा, अपमान और क्रोध के आवेग में आत्महत्या भी कर लेते हैं। रैगिंग से बचाव के लिए भारतीय दण्ड संहिता, यूजीसी रेग्युलेशन्स,2009 व राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) सहित वर्तमान में विधि स्थापित कानूनों-नियमों के कठोर दण्डात्मक प्रावधान होने पर भी सम्बन्धित लोकसेवकों की संवेदनहीनता के कारण प्रभावी कार्यवाही नहीं होने से इस प्रकार घटित अमानवीय घटनाओं को आयोग गम्भीरता से लेकर मामले पर प्रसंज्ञान लेता है।

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तीन सदस्यीय जांच समिति गठित

आयोग ने जिला कलेक्टर से उच्च स्तर की महिला पुलिस अधिकारी,एक उपखण्ड अधिकारी स्तर की महिला प्रशासनिक अधिकारी,एक वरिष्ठ पुरुष अधिकारी सहित तीन सदस्यीय जांच समिति गठित कर मामले की तथ्यात्मक रिपोर्ट 10 दिन में मांगी है। आदेश की कॉपी मेडिकल कॉलेज और कमिश्नर को भी भेजी गई है।

आईडी पर मेल कर रेगिंग की रोकथाम लिए गुहार लगाई

सनद रहें कि यहां पढऩे वाले एक स्टूडेंट्स की मां ने लिखित में एंटी रेगिंग कमेटी के सदस्यों की ऑफिशियल आईडी पर मेल कर रेगिंग की रोकथाम लिए गुहार लगाई थी। उन्होंने मेल में लिखा कि मेडिकल कॉलेज में रेगिंग के केस दिनों दिन बढ़ते जा रहे हैं जिसमें बच्चों का हैरेसमेंट करने साथ मेंटल प्रेशर डाल टॉर्चर किया जा रहा है। रेगिंग लेने वाले सीनियर स्टूडेंट्स वे हैं जिन्होंने हाल में फ़र्स्ट ईयर की परीक्षा दी है।

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मेल में बताया कि सीनियर अपने से जूनियर स्टूडेंट्स को अज्ञात जगह बुलाते हैं,जहां 8-10 सीनियर स्टूडेंट्स पहले ही होते हैं। इतना ही नहीं कभी हॉस्टल में या उनके पीजी में बुलाकर खाना व शराब लाने को कहते हैं। यदि हॉस्टल वार्डन इस ओर ध्यान दें तो हॉस्टल में शराब की बोतलें दिखाई देंगी। रैगिंग में सीनियर स्टूडेंट्स कई बार नए आए बच्चों के प्राइवेट पार्ट को टच करने के साथ गाली गलौज करते हैं और चिल्लाते हैं।

स्टूडेंट की मां ने मेडिकल कॉलेज प्रशासन पर आरोप लगाते हुए लिखा कि रैगिंग के बारे में जानकारी होने के बावजूद भी कॉलेज प्रशासन ने कोई एक्शन नहीं लिया। ऐसे बच्चों के खिलाफ जल्द कठोर एक्शन लेना चाहिए।

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