- मानवाधिकार आयोग ने की 407 प्रकरणों की सुनवाई
- संबंधित विभागों को दिए त्वरित कार्यवाही के निर्देश
- हर व्यक्ति के अधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित हो-जस्टिस व्यास
जोधपुर, गुरूवार को मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस गोपाल कृष्ण व्यास की अध्यक्षता में पूर्ण पीठ नें पांच घंटे लगातार जोधपुर जिले के मानवाधिकार से संबंधित प्रकरणों की सुनवाई की। जस्टिस व्यास ने एक एक परिवादी से बातचीत कर प्रकरण की गहनता से सुनवाई की और मौके पर ही संबंधित विभाग के अधिकारियों को त्वरित कार्यवाही के निर्देश दिए ताकि परिवादी के मानवाधिकारों का संरक्षण हो सके।
जस्टिस व्यास ने कहा कि संविधान में नागरिकों के मूल अधिकार निर्धारित किए गए हैं ताकि मानवधिकार का संरक्षण सुनिश्चित होने के साथ ही कार्यपालिका जनकल्याण की दिशा में योजनाओं, कार्यक्रमों व नीतियों का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करे। मानवाधिकार आयोग सदैव यह प्रयास करता है कि वंचित व पिछड़े तबकों सहित किसी भी व्यक्ति के अधिकारों का हनन न हो और वह संविधान के अनुरूप अपना जीवन यापन कर सके।
जस्टिस व्यास ने कहा कि राज्य सरकार मानवअधिकारों के संरक्षण के लिए विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं का संचालन कर रही है। अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे हर पात्र व्यक्ति को इनका लाभ दिलाना सुनिश्चित करें। हर पात्र व्यक्ति तक इन योजनाओं का लाभ पहुंचाना भी मानवअधिकारों का संरक्षण है।
परिवादियों की सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में जब यह तथ्य सामने आया कि झूठी एफआईआर दर्ज होने के कारण एक व्यक्ति को मानहानि का सामना करना पड़ा। समाज में उनकी प्रतिष्ठा धूमिल हुई। इस पर जस्टिस व्यास ने कहा कि झूठी एफआईआर दर्ज कराने वाले व्यक्तियों को हतोत्साहित करने के लिए कानून के अनुसार उन पर कार्यवाही की जाए जिससे किसी निर्दोष व्यक्ति की छवि धूमिल न हो और उसे बेवजह पीड़ित न किया जा सके। एक अन्य प्रकरण में मूक बघिर किशोर का विकलांगता प्रमाण पत्र जारी नहीं होने के मामले को आयोग ने गंभीरता से लिया। उन्होंने निर्देश दिए कि ऐसे मामलों में बिना किसी देरी के उचित निर्णय देकर प्रकरणों को निस्तारित किया जाए ताकि पात्र व्यक्ति अपने मानवाधिकारों व राज्य सरकार से मिलने वाले लाभों से वंचित न रहे।
उन्होंने पुलिस विभाग के प्रकरणों की सुनवाई करते हुए निर्देश दिए कि थाने में एफआईआर या अन्य शिकायत दर्ज करने वालो को उचित माहौल दिया जाए। उन्होंने पुलिस विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि गत कई वर्षो से भीतरी शहर में नवचौकिया पुलिस चौकी कार्यरत थी उसे बंद कर दिया गया। उसे पुनः प्रारंभ करवाएं जिससे भीतरी शहर में भी कानून उल्लंघन प्रकरणों पर नियंत्रण रखा जा सके। राज्य सरकार द्वारा प्राप्त बजट के तहत थानों में सीसीटीवी कैमरे भी लगवाए जाएं। उन्होंने जेल अधिकारियों से जेल में मोबाइल फोन पाये जाने की घटनाओं को सख्ती से रोकने के निर्देश दिए।
जस्टिस व्यास ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा सिलिकोसिस पीड़ितों व उनके परिजनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण सिलिकोसिस नीति व पेशंन योजनाएं आदि प्रारंभ की गई हैं। जिला प्रशासन इस ओर संवेदनशील रहते हुए सिलिकोसिस पीड़ितों को सहायता राशि पहुंचाने का कार्य द्रुत गति से करें।
मानवाधिकार आयोग की पूर्ण पीठ ने मानवाधिकार आयोग आपके द्वार के तहत बैठक के दौरान पुलिस, कलेक्ट्रेट कार्यालय, मेडिकल विभाग, विद्युत विभाग, शिक्षा विभाग, नगर निगम व जेडीए,कृषि विभाग, रेलवे मण्डल, जीपीएफ व पेंशन, राज्य पथ परिवहन, श्रम विभाग, केन्द्रिय कारागृह, पीएचईडी, स्थानीय निकाय, सामाजिक न्याय अधिकारिता, जिला परिषद, जिला आबकारी अधिकारी, रसद विभाग, उप सचिव गृह विभाग, मरूधर ग्रामीण बैक, पंजाब नेशनल बैंक, हाउसिंग बोर्ड, चिफ मेट्रोपोलिसन मजिस्ट्रेट से संबंधित 267 एवं बैठक के दौरान प्राप्त 140 नये प्रकरणों पर भी सुनवाई कर संबंधित विभागों के अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए व परिवादियों को राहत प्रदान की।
बैठक में राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य जस्टिस महेश चन्द्र शर्मा, सदस्य महेश गोयल, रजिस्ट्रार ओमी पुरोहित, उप सचिव सीमा शर्मा, डॉ दीपा जैन, संभागीय आयुक्त राजेश शर्मा, जिला कलेक्टर इन्द्रजीत सिंह के साथ पुलिस व संबंधित विभागों के अधिकारी, आयोग के राजीव शर्मा, गणपत शर्मा, महेश पारिक, रामपाल, रवि पुरोहित, उपस्थित थे।