घर की सुख समृद्धि के लिए सुहागिनों ने रखा दशामाता का व्रत,सुनाई कथा

जोधपुर, शहर में रविवार को दशामाता का व्रतोपवास किया गया। महिलाओं ने अखंड सुहाग एवं घर की सुख समृद्धि के लिए इस व्रत का पालन किया। दशामाता की कहानी का वाचन कर पति के दीघार्यु होने की कामना की। प्रताप नगर टैम्पो स्टैण्ड चौराहे के पास स्थिति दशा माता मन्दिर में महिलाओं ने व्रत रखकर दशा माता की पूजा-अर्चना की। महिलाएं जीवन की दिशा-दशा को सही करने की कामना से चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की दशमी के दिन दशा माता का व्रतकर पूजा करती हैं। इस व्रत को जो व्यक्ति भक्ति-भाव से करता है, उसके घर से दु:ख और दरिद्रता दूर हो जाती है।

शहर में रविवार को सुबह से दशा माता मन्दिर में पूजा करने के लिए महिलाओं की चहल-पहल रही। मन्दिर में महिलाएं पूजा की थाली लेकर आई तथा दशा माता व पीपल पूजा अर्चना की। इस अवसर पर दामोदर महाराज द्वारा महिलाओं को दशा माता की कथा सुनाई गई। दामोदर महाराज ने कथा दौरान कहा कि प्राचीन समय में राजा नल और दमयंती रानी सुखपूर्वक राज्य करते थे। उनके दो पुत्र थे। उनके राज्य में प्रजा सुखी और सम्पन्न थी। एक दिन की बात है कि उस दिन होली दसा थी। एक ब्राह्मणी राजमहल में आई और रानी से कहा-दशा का डोरा ले लो। बीच में दासी बोली-हां रानी साहिबा,आज के दिन सभी सुहागिन महिलाएं दशा माता की पूजन और व्रत करती हैं तथा इस डोरे की पूजा करके गले में बांधती हैं जिससे अपने घर में सुख-समृद्धि आती है। अत: रानी ने ब्राह्मणी से डोरा ले लिया और विधि अनुसार पूजन करके गले में बांध दिया। शहर के घरों में आज सुबह से ही व्रतोपवास को लेकर महिलाओं में काफी उत्साह देखा गया।

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