पांच दिवसीय ओम शिवपुरी नाट्य समारोह संपन्न

राजा बूटीफुल के मंचन ने दिया स्वदेशी वस्त्रों से प्रेम का सन्देश

जोधपुर,राजा बूटीफुल के मंचन ने दिया स्वदेशी वस्त्रों से प्रेम का सन्देश। राजस्थान संगीत नाटक अकादमी के तत्वावधान में आयोजित 32वें ओम शिवपुरी स्मृति राष्ट्रीय स्तर का नाट्य समारोह का समापन रविवार को जयनारायण व्यास स्मृति भवन टाउन हाॅल में हुआ।

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पांच दिवसीय इस समारोह के अंतिम दिन सृजन कला समिति प्रयागराज द्वारा नाटक “राजा बूटीफुल” का प्रभावी मंचन किया गया। इस हास्य-व्यंग्य पर आधारित नाटक ने विदेशी वस्त्रों के मोह से उत्पन्न समस्याओं और स्वदेशी वस्त्रों के महत्व को बड़े ही रोचक ढंग से दर्शाया।

राजा बूटीफुल: एक व्यंग्यात्मक प्रस्तुति
मशहूर नाटककार अलखनंदन की डेनमार्क की एक लोक कथा पर आधारित इस नाटक का मंचन सिद्धार्थ पाल के निर्देशन में हुआ। नाटक में राजा रेशमलाल की कहानी दिखाई गई,जो विदेशी वस्त्रों के जादू में फंसकर अपनी प्रजा की अनदेखी करता है। नाटक के पात्रों के माध्यम से बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा कुटीर और लघु उद्योगों पर किए जा रहे ग्लोबल हमले को व्यंग्यपूर्ण तरीके से प्रस्तुत किया गया।

जादू का सूट और नंगे राजा
नाटक का मुख्य आकर्षण वह दृश्य रहा जब राजा रेशमलाल को ठगों द्वारा एक जादू का सूट पहनाया जाता है,जिसे केवल बुद्धिमान लोग ही देख सकते थे। रेशमलाल के नंगे होने के बावजूद सभी दरबारी उसकी प्रशंसा करते हैं,लेकिन एक छोटे बच्चे के द्वारा सत्य उजागर होने पर राजा को अपनी गलती का एहसास होता है। इसी प्रकार पड़ोसी राजा देशबंधु भी उसी जाल में फंसता है। अंत में दोनों राजाओं को स्वदेशी वस्त्रों की महत्ता समझ आती है।

प्रमुख कलाकार
नाटक में राजा रेशमलाल की भूमिका राहुल चावला ने निभाई, जबकि राजा देशबंधु का किरदार स्वयं निर्देशक सिद्धार्थ पाल ने निभाया। अन्य पात्रों में डाॅ.सुनिता कुमारी थापा,बृजेन्द्र कुमार सिंह, प्रत्यूष वर्सने,शिवम प्रताप सिंह, अनुकूल सिंह,शालिनी मिश्रा,कुमारी वैष्णवी चावला और स्वाति चावला ने अपनी भूमिकाएं प्रभावी ढंग से निभाई। मंच परे प्रकाश परिकल्पना एवं संचालन निखिलेश कुमार मोर्य और ध्वनि संचालन प्रशान्त वर्मा ने किया।

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर तथा उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज के सहयोग से आयोजित यह समारोह पांच दिन तक कला प्रेमियों को अद्भुत प्रस्तुतियों ने मंत्रमुग्ध किया। दर्शकों ने इस नाटक के व्यंग्य और संदेश की प्रशंसा की।