शहर में आमलकी एकादशी पर फागोत्सव की धूम,ठाकुरजी का किया नारी श्रृंगार

  • सिवांची गेट द्वारकाधीश मंदिर में आमलकी एकादशी पर हुआ विशेष आयोजन
  • होली के गीतों में थिरके श्रद्धालू
  • माहेश्वरी महिला मंडल ने अबीर-गुलाल व पुष्पों से खेली होली

जोधपुर, शहर के सिवांची गेट स्थित द्वारिकाधीश मंदिर में आमलकी एकादशी के अवसर पर ठाकुरजी का नारी श्रंगार किया गया। इस अवसर पर होली गायन किया गया। मंदिर पुजारी ओमदास वैष्णव ने बताया कि आमलकी एकादसी पर हर वर्ष की तरह ठाकुर जी का नारी श्रृंगार किया गया। उन्होंने बताया कि मंदिर की आकर्षक सजावट की गई,ठाकुर जी की अलौकिक झांकी सजाई गई। इस अवसर पर माहेश्वरी महिला मंडल द्वारा होरियो का गायन में रसिया जी को नार बनावो रे.. मेरी चुनार पे लग गयो दाग जी एसो चटक रंग डालियो रे..गा कर अबीर, गुलाल, पुष्पों से जमकर होली खेली और होली के गीतों पर नृत्य किया। मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे,सभी ने होरियों का आनंद लिया।

आमलकी एकादसी की कथा

हिंदू शास्त्र में प्रत्येक एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है। उन्हीं में से एक है आमलकी एकादशी। इस आमलकी एकादशी के दिन श्रद्धालू आंवला के पेड़ के नीचे भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है, कि भगवान विष्णु ने ही इस पेड़ की उत्पत्ति की थी। इस दिन लोग आंवला जरूर खाते हैं। शास्त्र के अनुसार इस व्रत को नियम पूर्वक श्रद्धा से करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह व्रत सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण करने के साथ-साथ स्वर्ग की प्राप्ति करवाता है।

पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु की नाभि से जब ब्रह्माजी प्रकट हुए, तो उनके दिमाग में कई बात चलने लगी कि वह कौन है? उनके जीवन का क्या उद्देश्य है? उनका जन्म कैसे हुआ? इन प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए उन्होंने भगवान विष्णु की तपस्या की। काफी वर्षों तक कठोर तपस्या करने के बाद भगवान विष्णु ने ब्रह्मा जी को दर्शन दिए। भगवान विष्णु के दर्शन पाकर सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा बेहद भावुक हो गए और उनकी आंखों से आंसू टपक पड़े।

ब्रह्मा जी का आंसू जहां गिरा वहां आंवला का पेड़ उत्पन्न हो गया। यह देखकर भगवान विष्णु ने ब्रह्माजी से कहा कि आंवला का पेड़ आपकी आंसू से प्रकट हुआ है, इसलिए यह पेड़ और इसका फल मुझे बहुत प्रिय होगा। यह एक दिव्य फल है। इसमें समस्त देवता निवास करेंगे। भगवान विष्णु ने कहा कि फाल्गुन शुक्ल एकादशी को जो व्यक्ति आंवला के पेड़ के नीचे बैठकर विधि-विधान से मेरी पूजा करेगा, उससे मैं बहुत प्रसन्न होऊंगा, उसे स्वर्ग की प्राप्ति होगी। उसके जीवन में किए गए समस्त पाप मिट जाएंगें। यह व्रत व्यक्ति की सभी मनोकामना को शीघ्र पूर्ण कर देगा।

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