संत का श्राप भी वरदान बन जाता है -संत मुरलीधर

जोधपुर,केलावा स्थित रघुवंशपुरम आश्रम और केशवप्रिया गौशाला में नवरात्र पर श्रीराम कथा एवं सहस्त्र चंडी यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। मानस वक्ता मुरलीधर ने श्रीराम कथा के चतुर्थ दिवस में व्यासपीठ से राजा दशरथ के चारों पुत्रों का नामकरण और बाल लीला का वर्णन करते हुए अहिल्या उद्धार के प्रसंग को सुनाया। कथा में उन्होंने कहा कि कभी-कभी संत का श्राप भी वरदान बन जाता है जब विश्वामित्र प्रभु श्री राम और लक्ष्मण को लेकर जनकपुर जा रहे थे तो रास्ते में एक विरान आश्रम देखा,जब प्रभु राम ने गुरु विश्वामित्र से इसके बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि गौतम ऋषि का आश्रम है उनके श्राप से उनकी पत्नी अहिल्या पत्थर बनी हुई है और जब भगवान ने उस पत्थर से आंसू गिरते हुए देखे तो उन्होंने पांव से उस शीला को छुआ और वह शिला नारी बन गई और रोते-रोते भगवान से कहने लगी हे भगवान यदि मेरे पति मुझे श्राप नहीं देते तो मैं आंखों से आपको देख नहीं देख पाती। इसके पश्चात भगवान ने अहिल्या से कुछ मांगने को कहा तो इस पर अहहिल्या बोली मैं आपसे क्या मांग सकती हूं मैं तो इतना ही मांगती हूं कि आपके चरणों की रज सदैव मिलती रहे। इस मार्मिक प्रसंगों को सुनकर पंडाल में उपस्थित अनेक श्रोताओं की आंखें भर आई।

इससे पूर्व मानस पूजन के साथ आरंभ हुई इस राम कथा में कथावाचक ने अवध के लोगों के राम अवतरण के पश्चात उत्सव मनाने, भगवान शंकर के द्वारा प्रभु श्रीराम के शिशु रूप के दर्शन करने के प्रसंग को सारगर्भित रूप में श्रोताओं के समक्ष रखा। उसके पश्चात विश्वामित्र के द्वारा अवध में जाकर राजा दशरथ से प्रभु श्री राम और लक्ष्मण को मांगने के प्रसंग की व्याख्या की। इस अवसर पर संत ने कहा कि देश की ऐतिहासिक सांस्कृतिक विरासत देखिए उस समय राजा को भी राम चाहिए और साधु को भी राम चाहिए। उनके द्वारा गाया गया भजन राघव को मैं न दूंगा.. पर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया
राम कथा के अवसर पर संपत कुमार काबरा,कमलेश पुरोहित जोधपुर से, राधेश्याम अग्रवाल धर्मपत्नी सीता देवी भीलवाड़ा सहित अनेक भक्त उपस्थित थे।

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