जैसलमेर रेलवे स्टेशन पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम स्थापित

जैसलमेर रेलवे स्टेशन पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम स्थापित

  • कलर लाइट सिंग्नल से टोकन और हरी झंडी की हुई विदाई
  • ट्रेनों की बढ़ेगी गति और होगा सुरक्षित संचालन

जोधपुर, सीमांत जैसलमेर रेलवे स्टेशन पर बरसों पुरानी ऑर्थोडॉक्स सिग्नलिंग प्रणाली को अत्याधुनिक कलर लाइट सिग्नलिंग व इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में बदल दिया गया है। स्टेशन पर ट्रेन ड्राइवर को टोकन देना व हरी झंडी दिखाकर रवाना करना अब बीते जमाने की बात हो गई है।

मंडल रेल प्रबंधक गीतिका पांडेय ने बताया कि जोधपुर मंडल के सीमांत और महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल जैसलमेर रेलवे स्टेशन पर बरसों पुरानी सेमाफोर सिग्नल प्रणाली व टोकन सिस्टम की जगह कलर लाइट सिग्नलिंग सिस्टम और आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम ने ले ली है जिससे अब न केवल शंटिंग का कार्य हरी झंडी की बजाय सिग्नल के द्वारा संपादित होगा अपितु गाड़ियों के सुरक्षित संचालन तथा उनकी गति सीमा में भी बढ़ोतरी सम्भव होगी।

जैसलमेर रेलवे स्टेशन पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम स्थापित

उन्होंने बताया कि उप मुख्य सिग्नल एवं दूरसंचार इंजीनियर प्रोजेक्ट की जोधपुर इकाई द्वारा जैसलमेर स्टेशन पर मानवीय आधारित उपकरणों की जगह आधुनिक सिग्नल प्रणाली स्थापित की है। ट्रेनों के संचालन व सुरक्षा की दृष्टि से यह प्रणाली काफी कारगर है। इससे जैसलमेर स्टेशन पर पांच लाइनें संचालित होगी जिसमें तीन लाइनें सवारी गाड़ियों और दो लाइनें माल गाड़ियों के लिए उपलब्ध रहेगी।

उल्लेखनीय है कि कम्प्यूटर संचालित नई सिग्नल प्रणाली द्वारा मात्र एक क्लिक से आने और जाने वाली ट्रेनों के सिग्नल दिए जा सकते हैं। इसके साथ ही समपार फाटक 123 को भी नई सिग्नलिंग प्रणाली से अंतर पार्शन किया गया है जिससे सड़क यातायात की सुरक्षा और मजबूत होगी।

ओढनिया चाचा स्टेशन पर भी काम पूरा

मंडल के जैसलमेर खण्ड पर ओढानिया चाचा रेलवे स्टेशन पर भी हरी झंडी और पुरानी टोकन व्यस्था को पूरी तरह से हटा लिया गया है। यहां स्थापित आधुनिक सिग्नल प्रणाली से तीन लाइनों और एक रैम्प साइडिंग का संचालन किया जा रहा है। इसके तहत समपार फाटक संख्या 96 को भी नई सिग्नलिंग प्रणाली से जोड़ा गया है।

इनका कहना है

रेलवे बोर्ड के निर्देशानुसार पुरानी सेमाफोर सिग्नलिंग को एक समयबद्ध तरीके से बदलने का लक्ष्य है। नई प्रणाली से ट्रेनों के संचालन समय में बचत होगी,गति की तीव्रता व उपकरणों पर निर्भरता बढ़ेगी तथा सबसे महत्वपूर्ण दुर्घटना दर में कमी आएगी।

गीतिका पांडेय
डीआरएम,जोधपुर मंडल

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