एमडीएमएच व उम्मेद अस्पताल के चिकित्सको ने बचाई 2 माह के शिशु की जान

जोधपुर,संभाग के सबसे बड़े हॉस्पिटल मथुरादास माथुर हॉस्पिटल व उम्मेद हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने मिलकर 2 माह के बच्चे की जान बचाई है। फलोदी निवासी गोपाल अपने 2 माह के बच्चे को तेज बुखार व पेशाब की रुकावट की समस्या के कारण उम्मेद अस्पताल लेकर आया। जहाँ डॉ.मोहन मकवाना ने बच्चे को एनआईसीयु में भर्ती किया। बच्चे को सेप्टिसिमिया (एक प्रकार इन्फेक्शन जिसमे अंदरूनी अंग खराब होने का खतरा रहता है) व पेशाब रुकावट के कारण सीरम क्रियेटिन लगातार बढ़ता रहा,तब डा.मकवाना ने मथुरा दास माथुर हॉस्पिटल के पेडियाट्रिक यूरोलॉजी विभाग में भेजा।

जब बच्चे की खून की जांच की गई तो सीरम क्रिएटिन 7 एमजी पर डीएल से भी ज्यादा हो गया था। जिससे बच्चे के दोनो गुर्दे खराब होने की आंशका थी। जब बच्चे की अल्ट्रा सोनोग्राफी की गई जिसमे पेशाब नली में रुकावट पाई गई। लेकिन बिमारी का गहन पता लगाने के लिये एमआरआई व सीटी स्कैन करवाना जरुरी था,लेकिन बच्चे सीरम क्रिएटिनिन अधिक होने के कारण ये जांचे करना असंभव था तथा बच्चे के लिये घातक थी। तब पीडियाट्रिक युरोलोजी के विभागाध्यक्ष डॉ.आरके.सारण ने बच्चे का पेरीटोनियल डायलेसिस करके सीरम क्रिएटिनिन कम करने की सलाह दी। जिसके बाद ऐनस्थेसिया में वरिष्ठ आचार्य डॉ.गीता की सहायता ली गई क्योंकि बच्चे का सीरम क्रिएटिनिन अधिक होने के कारण बेहोश करना एक जटिल प्रक्रिया थी,जिसमे बच्चे की जान का भी जोखिम था लेकिन आपातकालीन स्थिति में एनेस्थीसिया की टीम की सहायता से बेहोश करके,पीडियाट्रिक यूरोलोजी विभाग की टीम ने ऑपरेशन थियेटर में सीआर्म मशीन की सहायता से पेशाब नली की रुकावट का गहन पता लगाने का निर्णय लिया।मरीज के माता-पिता को इस जटिल प्रकिया के जोखिम से अवगत करवाकर उनकी सहमति ली गई। सभी डॉक्टरों की टीम के सदस्यों की सहमति के बाद बच्चे को बेहोश कर आरजीयू व एमसीयू की जांच की गई। तथा दूरबीन द्वारा जांच में पता चला कि बच्चे को पोस्टीरियर यूरेथ्रल वाल्व (पेशाब की नली के अन्दर एक प्रकार की झिल्ली या वाल्व) नाम की बिमारी का पता चला। जिसके कारण पेशाब नहीं निकाल पा रहा था। जांच के पश्चात उसी दौरान डॉ.आरके सारण व उनकी टीम ने निर्णय कर लेजर तकनीक के माध्यम से पोस्टीरियर यूरेथ्रल वाल्व को हटा दिया गया। आपरेशन पश्चात बच्चे को पेशाब नली लगाकर उम्मेद अस्पताल के एन आईसीयू में रखा गया,जहां पीडियाट्रिक यूरोलॉजी व पीडियाट्रिक विभाग के चिकित्सको की देखरेख में बच्चे का सीरम क्रिएटिनिन 3 एमजी पर डीएल से भी कम कर दिया गया तथा साथ ही उचित दवाईयो के माध्यम से बच्चे का सेप्टीसीमिया भी ठीक किया गया। जिसके बाद पेशाब की नली निकालने के बाद बच्चा सामान्य रूप से पेशाब कर पा रहा था। 1 माह के निरन्तर व कठिन इलाज के बाद बच्चे को देखभाल संबधी उचित राय देकर डिस्चार्च कर दिया गया। उस सम्पूर्ण ईलाज के दौरान चिकित्सकों की टीम में पीडियाट्रिक यूरोलोजी विभाग के विभागाध्यक्ष.डॉ.आरके सारण,डॉ. नवीन,डॉ.शभान,डॉ.लोकेश, डॉ.शाहरुख लोहार,डॉ.विष्णाराम, डॉ.कमल तथा पीडियाट्रिक विभाग के डॉ.मोहन मकवाना,डॉ.पोखर तथा एनेस्थीसिया विभाग से डॉ.गीता, डॉ. देवेंद्र तथा नर्सिंग विभाग में अब्दुल व विरेन्द्र शामिल थे।

यह भी पढ़ें – घर में करंट लगने से युवक की मौत

इनका कहना है
पोस्टीरियर यूरेथरल वाल्व एक जन्मजात बिमारी है जो 5000 में से से एक नर शिशु में देखने को मिलती है। इस बिमारी में पेशाब नली व पेशाब की थैली के बीच एक झिल्ली बन जाती हैं,जिससे पेशाब में रुकावट हो जाती है। सामान्यत: इस बिमारी का पता गर्भावस्था के दौरान अल्ट्रा सोनोग्राफी के द्वारा लगाया जा सकता है। तथा अत्याधुनिक चिकित्सा विज्ञान में गर्भावस्था के दौरान ही इलाज किया जा सकता है।आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में लेजर द्वारा पोस्टीरियर यूरेथरल वाल्व को यथा शीघ्र हटाकर बच्चे के गुर्दे खराब होने को समय पूर्व बचाया जा सकता है। हमारा विभाग लगातार गुर्दे व पेशाब नली से सम्बंधित बिमारिया का ईलाज उचित व अत्याधुनिक तकनीक से कर रहा है। जिससे मरीज को जोधपुर से बाहर बड़े शहरों जैसे दिल्ली, मुबई, अहमदाबाद में जाकर महंगे इलाज से राहत मिली है।

यह भी पढ़ें – विमंदित युवक की मौत

डॉ.आरके सारण
विभागाध्यक्ष,पीडियाट्रिक यूरोलोजी विभाग,मथुरादास माथुर हॉस्पिटल

जब बच्चे को हमारे पास लाया गया तब बच्चे की स्थिति बहुत गंभीर थी। इलाज के दौरान स्थिति पहले से ठीक हुई लेकिन सीरम क्रिएटिनिन का स्तर लगातार बढ़ रहा था।जो चिंताजनक था इसलिये हमने बच्चे को पीडियाट्रिक यूरोलॉजी विभाग में दिखाने को कहा जहाँ बच्चे की जांचें करके,आपरेशन किया तथा सेप्टी सीमिया को ठीक करने के लिये हमारे पास उम्मेद अस्पताल एनआईसीयू में रखा गया। जहां हमने एंटीबायोटिक व अन्य दवाइयों से बच्चे का सेप्टीसेमिया ठीक किया।

डॉ.मोहन मकवाना
यूनिट हैड व शिशु रोग विशेषज्ञ उम्मेद अस्पलात।

लेजर तकनीक एक अत्याधुनिक व महंगी तकनीकी है लेकिन राज्य सरकार की मुख्यमन्त्री चिरजीवी योजना से मरीजों को मुफ्त में इलाज मिल रहा है।

डॉ.विकास राजपुरोहित
अधीक्षक,मथुरादास माथुर हास्पिटल

दूरदृष्टि न्यूज़ की एप्लीकेशन यहाँ से इनस्टॉल कीजिए – https://play.google.com/store/apps/details?id=com.digital.doordrishtinews