जोधपुर,राजस्थान में कोरोना त्रासदी से प्रभावित राज्य के आर्थिक दृष्टी से कमजोर कलाकारों को आर्थिक सहायता प्रदान कर उनके परिवारों को सम्बल प्रदान करने का आग्रह मुख्यमंत्री के पूर्व सलाहकार व राजस्थान संगीत नाटक अकादमी के पूर्व अध्यक्ष रमेश बोराणा ने एक पत्र के माध्यम से राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से किया है।

पत्र में लिखा कि पहली लहर के लम्बे लॉक डाउन के कारण प्रदेश के मंचीय व प्रदर्शनात्मक कलाओं से जुड़े राज्य के कलाकारों की आर्थिक स्तिथि पहले से ही बहुत खराब हो चुकी थी। उस त्रासदी से अभी उबरे भी नहीं थे कि अब ये अनिश्चितकालीन दूसरे लॉकडाउन ने उनके सामने परिवार पालन का संकट उत्पन्न कर दिया है। विशेष रूप से शहर व गांवों में रहने वाले लोक, पारम्परिक, नाट्य, नृत्य, ओर्केष्ट्रा व चित्रकला से जुड़े वे कलाकार जो अपनी कला के माध्यम से दैनिक पारिश्रमिक, मानदेय के आधार पर जीविकोपार्जन करते हैं।

पिछले 15 महिनों में काम के अभाव में उनकी हालत बहुत दयनीय हो चुकी है और कोरोना की भावी अनिश्चित परिस्थतियों के चलते अगले दो तीन माह तक सार्वजनिक रूप से गाने बजाने के सांस्कृतिक कार्यक्रम व नाट्य प्रदर्शन व अन्य कला के कार्यक्रम प्रदर्शित होने की सम्भावना भी दृष्टिगत नहीं हो रही है। समाज का यह प्रबुद्ध वर्ग जो समाज में अपनी लोकप्रियता व स्वाभिमान के कारण सरकार की राहत व अनुदान योजनाओं से भी जुड़ा हुआ नहीं होने के कारण ये किसी प्रकार की निरंतर या त्वरित नकद व खाद्यान सहायता प्राप्त करने से भी वंचित ही हैं।

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बोराणा कहा कि मुझे राजस्थान संगीत नाटक अकादमी अध्यक्ष के रुप में तथा स्वंय एक सृजनधर्मी होने के नाते प्रदेश के इन कलाकारों से नजदीकी जुड़ाव है तथा प्रतिदिन प्रदेश भर से अनेक कलाकारों के पीड़ा भरे फोन संदेश प्राप्त हो रहें हैं कि मैं मुख्यमंत्री से अविलम्ब सहायता हेतु निवेदन करूं, जिससे पीड़ित कलाकार इस संकट की घड़ी में अपने परिवारों की दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके।

बोराणा ने सुझाव देते हुए लिखा कि राजस्थान संगीत नाटक अकादमी के कलाकार कल्याण कोष की संचित निधि से प्राप्त ब्याज व विभिन अकादमियों व जवाहर कला केंद्र सहित संस्कृति विभाग के कोष से जरूरतमंद कलाकारों का अविलम्ब सहयोग किया जा सकता है जिला कलेक्टर के माध्यम से भी ऐसे जरूरत मंद कलाकारों को स्थानीय स्तर पर मदद की जा सकती है। संस्कृति विभाग ने गत वर्ष प्रदेश के कलाकारों का सर्वेक्षण व पंजीयन भी किया था, वह सूचि सहायक हो सकती है। साथ ही प्रदेश की कला अकादमियों को निर्देशित किया जाना चाहिए कि वे जरुरतमंद लोगों की सूचि प्रमाणित व तैयार कर राज्य सरकार को भेजे।