मर्म चिकित्सा की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन
जोधपुर,डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जोधपुर के शरीर रचना विभाग एवं मानव संसाधन के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार को सुश्रुत सभागार में मर्म चिकित्सा की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन कुलपति प्रो. (वैध) प्रदीप कुमार प्रजापति की अध्यक्षता तथा अन्तर्राष्ट्रीय मर्म चिकित्सा विशेषज्ञ तथा उतराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय देहरादून के कुलपति प्रो.सुनील जोशी के मुख्य आतिथ्य में किया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रो.सुनिल जोशी ने कहा कि जटिल बिमारियों जैसे हृदय रोग, श्वसन रोग,किडनी रोग,पक्षाघात, कन्जेनिटल बिमारियों,सेरेब्रल पाल्सी, मोनोप्लेजीया आदि में मर्म चिकित्सा से सफलता प्राप्त की जा सकती है। उन्होने कहा कि विदेशी विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में भी मर्म चिकित्सा को शामिल किया गया है।
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कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. प्रदीप कुमार प्रजापति ने कहा कि औषधियों द्वारा शमन चिकित्सा के साथ-साथ पंचकर्म एवं मर्म चिकित्सा भी सफलता पूर्वक की जाती है।
कुलसचिव सीमा कविया,विशिष्ट अतिथि प्रो.नरेश चौधरी उतराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रो.गोविन्द सहाय शुक्ल एवं डीन एकेडमिक प्रो.राजेश कुमार शर्मा ने भी उदबोधन दिया। कार्यक्रम के समापन समारोह में मुख्य अतिथि प्रो. सुनिल जोशी का स्वागत कुलपति प्रो. (वैद्य) प्रदीप कुमार प्रजापति ने माला,शाल,साफे से किया। कार्यशाला के आयोजन अध्यक्ष एवं प्राचार्य प्रो. महेन्द्र शर्मा ने कार्यशाला के उदेश्य एवं दो दिन में हुए कार्यक्रमों की रूपरेखा प्रस्तुत की। आयोजन सह अध्यक्ष डॉ. राकेश शर्मा ने शरीर रचना विभाग एवं मानव संसाधन विकास केन्द्र की गतिविधियों की जानकारी दी।
समापन कार्यक्रम से पूर्व दूसरे दिन प्रथम वैज्ञानिक सत्र में शोध पत्रों का वाचन किया गया जिसमें पंचकर्म थेरेपी एवं मर्म चिकित्सा का विभिन्न रोगों में उपयोगिता विषय पर पंचकर्म विभाग के प्रो.महेश शर्मा द्वारा शोध पत्र प्रस्तुत किया गया। डॉ.धनन्जय कुमार ने कन्सन्ट ऑफ मर्म एवं इसका एप्लाईड एस्पेक्ट डॉ.कविता सांगवान,डॉ रेनू शर्मा,डॉ.लक्ष्मी राठौड़,डॉ.प्रणव,डॉ.मोनिका शर्मा,डॉ. विमला,डॉ.वरुण मैथानी,डॉ.डोली तलपारा आदि ने शोध पत्र वाचन किये। कार्यशाला में देश के विभिन्न प्रान्त पंजाब,हरियाण,गुजरात, उतराखण्ड,महाराष्ट्र,केरल,दिल्ली तथा जामनगर आदि से आये हुए प्रतिभागियों ने अपने शोध पत्रों का वाचन किया।
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कार्यक्रम के द्वितीय वैज्ञानिक सत्र में प्रो.जोशी ने जोधपुर शहर एवं ग्रामीण क्षेत्रों से आये हुए रोगियों की मर्म चिकित्सा द्वारा उनकी बीमारियों में दर्द में राहत प्रदान कर उनकी चिकित्सा की तथा उनको मर्म बिन्दुओं की जानकारी दी। घुटना प्रत्यारोपण पश्चात उपद्रव होने में भी मर्म चिकित्सा कारगर है। माया चौधरी को कमर दर्द, रामेश्वरी को घुटने में दर्द में मर्म चिकित्सा देकर कुछ ही पलों में राहत प्रदान की इसके अतिरिक्त बच्चों में होने वाले सेरेब्रल पाल्सी रोग से ग्रसित सोनम एवं इजहान को सम्बंधित मर्म पोईट को दबाकर चिकित्सा कर राहत प्रदान की। कार्यक्रम के कन्विनर डॉ.श्योराम शर्मा एंव आयोजन सचिव डॉ.नवनीत दाधीच एवं अमित गहलोत थे।
इस अवसर पर पोस्ट ग्रेजुएट इस्टीटयूट ऑफ आयुर्वेद के समस्त संकाय सदस्य,होम्योपैथी कॉलेज की प्राचार्या डॉ.वृषाली एवं संकाय सदस्य, स्नातकोत्तर अध्येता एवं स्नातक अध्येता आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम में उत्तराखण्ड से आये हुए चिकित्साधिकारीयों के लिए आयोजित 6 दिवसीय क्षारसूत्र विषयक सीएमई कार्यक्रम के समापन के अवसर पर शल्य तंत्र के विभागाध्यक्ष प्रो.राजेश कुमार गुप्ता, डॉ.विष्णु दत्त शर्मा,डॉ.संजय श्रीवास्तव तथा डॉ.राजीव सोनी एंव सभी प्रतिभागीयों को अतिथियों द्वारा प्रमाण-पत्र वितरित किये गये कार्यक्रम के सोलो पार्टनर डॉबर इण्डिया था। डीन एकेडमिक प्रो. राजेश कुमार शर्मा ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया।
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