एक से अधिक परिवादी होने पर परिवाद खारिज नहीं किया जा सकता

-उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग

जोधपुर,राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने अपने महत्वपूर्ण निर्णय में यह व्यवस्था दी है कि एक साथ कराए गए टिकट में एक ही परिवाद में एक से अधिक परिवादी होने पर यह कहकर परिवाद खारिज नहीं किया जा सकता है कि परिवादीगण ने संयुक्त परिवाद दायर करने से पूर्व जिला आयोग से पूर्वानुमति नहीं ली है और इसी के साथ अध्यक्ष देवेंद्र कच्छवाहा,निर्मल सिंह मेडतवाल और संजय टाक ने विपक्षी की जिला आयोग के आदेश के खिलाफ दायर निगरानी याचिका को खारिज कर दिया। मिराज सिनेमा (बायोस्काप)ने जिला आयोग,जोधपुर के 21 मई 2019 के आदेश के खिलाफ निगरानी याचिका दायर कर कहा कि उन्होंने जिला आयोग के समक्ष प्रार्थना पत्र पेश कर कहा कि चार परिवादी अनिल भंडारी,उर्मिला भंडारी,शांति चंद पटवा और रंजू जैन ने आयोग की बिना पूर्वानुमति के उनके खिलाफ एक ही परिवाद दायर किया है,जो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन होने से खारिज किया जाए,लेकिन जिला आयोग ने उनका प्रार्थना पत्र खारिज कर कानूनन भूल की है सो परिवाद को खारिज किया जाए।

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परिवादी की ओर से बहस करते हुए अधिवक्ता अनिल भंडारी ने कहा कि उन्होंने एक साथ खरीदे गए टिकट पर यह कहकर मिराज सिनेमा के खिलाफ परिवाद दायर किया कि 24 मई 2018 को उन्होंने पिक्चर देखने के वास्ते 140 रुपए प्रति टिकट पेटीएम से बुक करवाए थे और सिनेमा हॉल पहुंचने पर उन्हें 90 रुपए के टिकट जारी किए गए और बताया गया कि अतिरिक्त 50 रुपए पॉपकॉर्न खरीद के अनिवार्य रूप से लिए जा रहे हैं,जिसे अनुचित व्यापार व्यवहार बताते हुए एक ही परिवाद दायर कर चुनौती दी गई,सो जिला आयोग से पूर्वानुमति की जरूरत नहीं है और निगरानी याचिका खारिज की जाए।

राज्य आयोग ने की याचिका खारिज 
राज्य उपभोक्ता आयोग ने निगरानी याचिका खारिज करते हुए कहा कि चारों ही परिवादी ने एक साथ ही टिकट खरीद किए और उन्होंने मिराज सिनेमा के खिलाफ यह अनुतोष चाहा है कि उनसे 90 रुपए सिनेमा टिकट के एवज में जबरदस्ती पॉपकॉर्न खरीद के वास्ते विवश कर न केवल अनुचित व्यापार व्यहवार किया है, बल्कि सेवा में भी त्रुटि की है और चारों ही परिवादी मिराज सिनेमा के उपभोक्ता होने से उन्हें संयुक्त रूप से परिवाद दायर करने के वास्ते अलग से प्रार्थना पत्र देकर जिला आयोग की पूर्वानुमति की कोई आवश्यकता नहीं थी सो जिला आयोग ने निगरानी कर्ता का प्रार्थना पत्र खारिज कर तथ्यों और विधि की कोई भूल नहीं की है।

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