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जोधपुर में ब्राह्मण,राजपूत और विश्रोई वंचित, बढ़ा सकता है चिंता

गहलोत मंत्रिमंडल गठन

जोधपुर, राजस्थान में लंबे समय से चले आ रहे सियसी संकट के बीच रविवार को नए मंत्रिमंडल का गठन हो गया। 11 केबिनेट और 4 राज्य मंत्री बनाए गए। मगर सबसे बड़ी बात है कि खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले में किसी को मंत्री का दर्जा नही मिल पाया। ब्राह्मण,जाट,राजपूत विश्रोई के साथ दलित वर्ग को निराश करने का काम गहलोत ने कर दिया है। इसका खामियाजा कहीं आगामी विधानसभा चुनाव में भुगतना नहीं पड़ जाए। इन प्रमुख जातियों की चिंता लाजिमी हो गई। हालांकि गहलोत ने संगठन के लिए काम करते रहने की अपील पहले ही कर दी है।

राजस्थान के नए मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले से एक भी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया है। अब कैबिनेट में जगह नहीं मिल पाने से निराश विधायकों को राजनीतिक नियुक्तियों में पद मिलने की उम्मीद है। हालांकि मारवाड़ से एक मंत्री हरीश चौधरी की जगह गुढ़ामलानी विधायक हेमाराम चौधरी को जरूर मंत्री पद दिया गया है।

जिले से सात विधायक हैं

जिले में कांग्रेस के 7 विधायक नए हैं। ऐसे में मंत्री का पद मिलना जोधपुर के लिए पहले से ही संभव नहीं था। मनीषा पंवार, दिव्या मदेरणा, महेन्द्र विश्नोई, मीना कंवर, हीराराम आदि नए होने से किसी विधायक को मंत्री पद की दौड़ में शामिल माना ही नहीं गया। इन विधायकों को सीएम के गृहनगर में होने का प्रीवलेज पहले से ही है। इधर दिव्या के परिवार से जिला प्रमुख उसकी मां को बनाने के बाद माना जा रहा है कि विधायक को पहले ही बड़ी सौगात मिल चुकी है। उप जिला प्रमुख महेन्द्र विश्नोई के भाई को बना चुके हैं।

राजनीतिक नियुक्तियों की संभावना बनी

हालांकि कोई मंत्री इस बार जिले से नहीं बनाया गया है। मगर इस बदलाव के बाद जोधपुर में कांग्रेस पार्टी के पहली व दूसरी पंक्ति के वर्कर दोनों की महत्वकांक्षा बढ़ती दिख रही है। गहलोत के करीबी राजेन्द्र सोलंकी, रामेश्वर दाधीच,पायलट के करीबी करण सिंह उचियारडा और सईद अंसारी इसी कतार में हैं। रिको डायरेक्टर सुनिल परिहार को भी बड़े पद की अपेक्षा है। इधर सेकेंड लाइन में अनिल टाटिया, राहुल पररासर, अजय त्रिवेदी, शांति लाल लिंबा कतार में नजर आ रहे हैं। अब माना यह जा रहा है कि मुख्यमंत्री अपने गृह नगर में राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर सौगात दे सकते हैं।

पायलट गुट के माने जाने वाले हेमाराम चौधरी फिर मंत्री बने

जोधपुर संभाग में देखा जाए तो हेमाराम चौधरी से पहले भी तीन विधायक मंत्रिमंडल में शामिल थे, अब भी संख्या तीन है। हरीश चौधरी के इस्तीफे के बाद पायलट गुट के हेमा राम चौधरी ने कैबिनेट मंत्री के रुप में शपथ ली है। राजस्थान सियासी संकट 2020 में भी हेमाराम चौधरी ने अशोक गहलोत सरकार की खुलकर बगावत की थी। सुखराम विश्नोई और सालेह मोहम्मद पहले से गहलोत मंत्रिमंडल में हैं।

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