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जोधपुर, अपने ही आश्रम की नाबालिग छात्रा से यौन उत्पीड़ऩ मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम की सेहत में कुछ दिन से सुधार भले ही है लेकिन एक नई परेशानी और सामने आई है। उसके शरीर पर दवाओं का असर कम हो रहा है।

दरअसल अभी आसाराम को काफी एंटीबायोटिक दवाएं दी जा रही हैं लेकिन बॉडी एंटीबायोटिक रजिस्टर्ड हो जाने के चलते कुछ दवाएं काम ही नहीं कर रही हैं। डॉक्टरों ने दवाएं बदली हैं। हालांकि यूरिन में हुए इन्फेक्शन के काउंट सामान्य आ गए हैं।

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अभी आसाराम को कुछ दिन और अस्पताल में रहना होगा। सूत्रों की मानें तो आईसीयू से एक दो दिन में आसाराम को निकाल कर सामान्य वार्ड में ऑब्जर्वेशन में कुछ दिन रखा जाएगा। इसके बाद अस्पताल प्रशासन डिस्चार्ज करेगा।

आसाराम का इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि उसकी सेहत में सुधार देखने को मिल रहा है। उसे अब कोई विशेष दिक्कत नहीं है। आसाराम की सेहत में सुधार के बाद यहां से डिस्चार्ज होने की स्थिति में नियमानुसार उसे वापस जोधपुर जेल भेजा जाएगा। गत माह के पहले सप्ताह में आसाराम कोरोना संक्रमित पाया गया था। इसके बाद उसे पहले महात्मा गांधी व बाद में एम्स में भर्ती करवा कर इलाज कराया गया।

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इस दौरान उसने हाईकोर्ट में अपनी बीमारी का इलाज आयुर्वेद से कराने के लिए जमानत याचिका दाखिल की। हाईकोर्ट के आदेश पर एम्स के मेडिकल बोर्ड ने उसकी मेडिकल रिपोर्ट पेश की। इसके आधार पर उसकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया। हाईकोर्ट के इस आदेश को आसाराम ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है। वहां भी सुनवाई कुछ दिनों के लिए टल गई।

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उल्लेखनीय है कि अगस्त 2013 में जोधपुर के एक आश्रम में अपने गुरुकुल की एक नाबालिग छात्रा के यौन उत्पीडऩ का आरोप लगा था। इसके बाद आसाराम को गिरफ्तार कर लिया गया था। तब से वह जोधपुर जेल में बंद है। अप्रैल 2018 में उसे मरते दम तक जेल में रहने की सजा सुनाई गई थी। आसाराम अब तक 15 से अधिक बार जमानत हासिल करने का प्रयास कर चुका है। देश के नामी वकील उसकी तरफ से पैरवी कर चुके हैं, लेकिन हर बार उसकी याचिका खारिज होती रही है।

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