19 साल बाद सावन में आया अधिकमास
- इस माह भगवान शिव और विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है
- 18 जुलाई से 16 अगस्त तक रहेगा अधिकमास
रिपोर्ट-शिवानी माथुर
जोधपुर,19 साल बाद सावन में आया अधिकमास। मलमास, पुरुषोत्तम मास या अधिकमास इस वर्ष 2023 में मंगलवार 18 जुलाई से शुरु हो रहा है। जो 16 अगस्त को समाप्त होगा। प्रत्येक 3 वर्ष बाद एक माह अधिक होता है। इस बार सावन का माह अधिकमास है,19 साल बाद ऐसा हुआ है जब सावन अधिकमास हुआ है। सनातन धर्म में अधिकमास का अत्यधिक महत्व है,इस माह में भगवान शिव और विष्णु की पूजा होती है। कहा जाता है इस महीने में किए गए धार्मिक कार्य और पूजा पाठ का प्रतिफल अधिक होता है। इस धार्मिक अधिकमास में जरूरतमंदों को अनाज,धन,जूते चप्पल और कपड़ों का दान भी किया जाता है।
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कृष्ण मंदिर के पुजारी कार्तिक ने बताया कि अधिकमास में शुभ कार्य करने से परहेज करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अधिकमास 18 जुलाई से 16 अगस्त तक है, इस दौरान दान के साथ भगवान शिव और विष्णु की पूजा अर्चना भी करने का विधान है। एक निजी स्कूल की कार्मिक पूजा गर्ग में बताया कि अधिकमास में व्रत रखूंगी और एक महीने तक गेहूं का त्याग कर दूंगी, साथ ही शाम को एक घन्टे का मौन व्रत भी रखूंगी। अधिकमास को लेकर जोधपुर के लोगों में उत्साह देखने को मिल रहा है। इसी अधिकमास में जोधपुर में मारवाड़ की ऐतिहासिक भोगिशैल परिक्रमा भी होती है। इस पुरुषोत्तम मास में कोई पूरे महीने का व्रत रखने वाला है, तो कोई दान करने की तैयारी कर रहा है।
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अधिकमास का महत्व सनातन धर्म में ही नही बल्कि विज्ञान भी इसे महत्व देता है। विज्ञान के अनुसार हिंदी वर्ष में 12 महीने होते हैं जो कुल 354 दिन होते है। वही अंग्रजी कैलेंडर के मुताबिक साल में 12 महीने होते है जो 365 दिन और 6 घंटे के होते है। इस तरह हर साल इन वर्षों के बीच करीब 11दिनों का अंतर रहता है और यह अंतर 3 सालों में एक महीने के बराबर हो जाता है। इसलिए इस अंतर को पाटने के लिए तीन साल में एक महीना बड़ा दिया जाता है। विज्ञान की नज़र में यही अधिकमास है। इस साल अधिकमास इसलिए भी खास है क्योंकि सावन के महीने में 19 साल बाद यह आया है। सावन तो भगवान शिव स्तुति का माह है ही अधिकमास होने से विष्णु भगवान की भी पूजा होगी। धार्मिक पुस्तक विक्रेता महेश अग्रवाल ने भी सनातन धर्म में अधिकमास का बहुत अधिक महत्व बताया।
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