आयुर्वेद विश्वविद्यालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला शुरू

  • वैज्ञानिक दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए आयुर्वेद के नजरिए से ही आयुर्वेद को समझना चाहिए-प्रोफेसर प्रजापति
  • केंद्रीय आयुर्वेद एवं सिद्ध अनुसंधान परिषद नईं दिल्ली के विशेषज्ञों द्वारा दिया जा रहा प्रशिक्षण
  • सीसीआरएएस नई दिल्ली द्वारा बनाए गए आयुर्प्रकृति वेब पोर्टल द्वारा ऑनलाइन कर सकेंगे परीक्षण
  • प्रशिक्षणार्थी आयुर्प्रकृति वेब पोर्टल के माध्यम से रोगी एवं रोग का कर सकेंगे परीक्षण

जोधपुर,आयुर्वेद विश्वविद्यालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला शुरू।वैज्ञानिक दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए आयुर्वेद के नजरिए से ही आयुर्वेद को समझना चाहिए, लाक्षणिक चिकित्सा नहीं करके मूलभूत सिद्धांतों के अनुसार चिकित्सा क्रम का निर्धारण करना चाहिए। यह बात गुरुवार को आयुर्वेद विश्व विद्यालय जोधपुर में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कुलपति प्रोफेसर प्रदीप कुमार प्रजापति ने कही। उन्होंने कि रोगी एवं रोग की परीक्षा के लिए आयुर्प्रकृति वेब पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन प्रकृति असेसमेंट स्केल के द्वारा प्रकृति परीक्षण करने से रोग के मूल कारण का निर्धारण कर चिकित्सा में सफलता प्राप्त की जा सकती है।

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इस अवसर पर कुलसचिव प्रोफ़ेसर गोविंद सहाय शुक्ल ने कहा कि स्नातकोत्तर अध्येताओं के लिए अनुसंधान से सम्बंधित इस प्रकार की कार्यशालाएं नियमित अंतराल पर करवाई जाएंगी। प्राचार्य प्रोफ़ेसर महेंद्र कुमार शर्मा ने भी अपने विचार रखे।उद्घाटन समारोह के पश्चात कार्यशाला के प्रथम दिन सीसीआरएएस नई दिल्ली के रिसर्च ऑफिसर डॉक्टर सुहास चौधरी एवं रिसर्च ऑफिसर डॉक्टर किशोर गवली ने प्रकृति असेसमेंट स्केल के भौतिक,शरीर क्रियात्मक,मनोवैज्ञानिक एवं स्वभाव संबंधी लक्षणों की एसओपी के संबंध में विस्तृत व्याख्यान दिया। दो दिवसीय कार्यशाला के प्रथम दिन सैद्धांतिक विषय पर व्याख्यान हुआ।द्वितीय दिन प्रैक्टिकल डिमॉन्सट्रेशन करवाया जाएगा। कार्यशाला में प्रत्येक प्रतिभागी को ऑनलाइन असेसमेंट करने के लिए आईडी पासवर्ड दिए जाएंगे।

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