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एमजीएच के गेस्टरो सर्जरी विभाग में क्रोनिक पेंक्रियाटाईटीस का सफल ऑपरेशन

जोधपुर, शहर के महामा गांधी हॉस्पिटल में गैस्ट्रो सर्जरी विभाग के चिकित्सकों ने अग्न्याशय के गम्भीर रोग,क्रोनिक पेंक्रियाटाईटीस के ऑपरेशन में सफलता प्राप्त की है।
गेस्टरो सर्जरी विभाग में सहायक आचार्य एवं विभागाध्यक्ष डॉक्टर दिनेश कुमार चौधरी ने बताया कि यह मरीज़ पिछले 12 साल से इस रोग से पीड़ित था। इस रोग में पेट में लगातार असहनीय तेज दर्द होता था,खाने का पाचन नही होने से चिकना मल निकलता था और मरीज़ को शुगर भी हो गया था। इस दौरान मरीज़ ने जोधपुर के विभिन्न चिकित्सकों को दिखाया तो निदान में क्रोनिक पेंक्रियाटाईटीस कि पुष्टि हुई।

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अलग-अलग हॉस्पिटल में इलाज लिया लेकिन रोग से आराम नही मिला और दर्द की वजह से 6-7 बार हॉस्पिटल में भर्ती हो कर दर्द के इंजेक्शन लगवाने पड़ते थे,लेकिन राहत नही मिली। डॉक्टर दिनेश ने बताया कि मरीज़ के अग्नाशय (पेंक्रियाज) में पथरी भी बन गई थी जिसके लिए पेंक्रियाज की नली में स्टेंट डालने का भी तीन बार प्रयास किया गया लेकिन सफलता नही मिली। उसके पश्चात मरीज़ ने डॉक्टर दिनेश को दिखाया तो उन्होंने उसे ऑपरेशन की सलाह दी।

क्या है क्रोनिक पेंक्रियाटाईटीस

इस रोग के मरीज़ों में अग्न्याशय (पेंक्रियाज) नामक ग्रंथी जो कि इंसुलिन और खाना पचाने का एंज़ाइम बनाती है की नली में रुकावट होने से ग्रंथी स्वतः नष्ट होने लगती है और रक्त में इंसुलिन की कमी होने से शुगर हो जाता है व खाना न पचने से वजन कम होता है साथ ही साथ अत्यधिक दर्द की शिकायत रहती है। लम्बे समय तक रुकावट रहने से पेंक्रियाज में पथरी बनने लगती है तब इसे क्रोनिक कैल्सिफ़िक पेंक्रियाटाईटीस कहते हैं।

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क्या है इलाज

शुरुआती अवस्था में दवाई से इलाज करते हैं।अगर आराम नही मिलता फिर पेंक्रियाज की नली में एंडोस्कोपिक स्टेंट डाला जाता है।उपरोक्त दोनो विकल्प असफल होने पर ऑपरेशन किया जाता है।

किसने किया ऑपरेशन

डॉक्टर दिनेश कुमार चौधरी ने ऑपरेशन किया,डॉक्टर नवनीत, डॉक्टर शुभम,नर्सिंग ऑफ़िसर सीमा एवं नगाराम ने सहयोग किया।ऐनेस्थीसिया डिपार्टमेंट की विभागाध्यक्ष सरिता जनवेज़ा के निर्देशन में सहआचार्य डॉक्टर वन्दना शर्मा ने मरीज़ को एनेस्थीसिया दिया इसमें डॉक्टर चेतन ने उनका सहयोग किया।

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ऑपरेशन 5 घंटे चला

इस तरह का ऑपरेशन जोधपुर संभाग के किसी भी राज्य सरकार द्वारा संचालित हॉस्पिटल में पहली बार हुआ है। डॉक्टर दिनेश के अनुसार पेंक्रियाज की ग्रंथी के पास सधन खून की नलियाँ होने एवं बार बार इन्फ़्लमेशन होने से अत्यधिक रक्त स्राव होने की सम्भावना रहती है अतः सूक्ष्म विच्छेदन करके पेंक्रियाज की नली को पुरी तरह खोल के अंदर की पथरी निकाली गई। पेंक्रियाटीक हेड को कोर किया गया,आँत से रू-एन- वाई लूप बनाया गया फिर उसे पेंक्रियाज की नली से जोड़ा गया।इसके बाद छोटी आँत को वापस छोटी आँत से जोड़ा गया। इस विधि को “फ़्रेज प्रोसीज़र” कहा जाता है।
अभी मरीज़ पूर्ण रूप से स्वस्थ है और दर्द रहित है।

हॉस्पिटल अधीक्षक डॉक्टर राजश्री बेहरा ने बताया कि महात्मा गाँधी हॉस्पिटल के गैस्ट्रो सर्जरी विभाग में नियमित रूप आंतो के कैंसर एवं अन्य जटिल ऑपरेशन हो रहे हैं। इस मरीज़ का ऑपरेशन भी चिरंजीवी योजना में निःशुल्क हुआ है।सामान्यतया ऐसे जटिल ऑपरेशन के लिए मरीज़ों को लाखों रुपया खर्च करना पड़ता है। एसएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य व नियंत्रक डॉक्टर दिलीप कच्छवाह ने हॉस्पिटल अधीक्षक और ऑपरेशन टीम को बधाई दी। पेशेंट पाल बालाजी निवासी ओमप्रकाश थे।

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