बीमा कंपनी को एक करोड़ देने का आदेश।
राज्य उपभोक्ता आयोग
जोधपुर,दूरदृष्टीन्यूज),बीमा कंपनी को एक करोड़ देने का आदेश।राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने परिवादी की अपील मंजूर करते हुए यह व्यवस्था दी है कि जब जवाब और साक्ष्य रिकॉर्ड पर नहीं है तो जिला आयोग लिखित बहस के आधार पर पिछले दरवाजे से निकाल कर दावा राशि में जो पचास फीसदी कटौती की है,वह विधि सम्मत नहीं है तथा परिवादी के बाबत तथ्यात्मक विकृति शब्द का प्रयोग किया जाना सराहनीय नहीं है।
आयोग अध्यक्ष देवेंद्र कच्छवाहा और न्यायिक सदस्य अरुण कुमार अग्रवाल और सदस्य लियाकत अली ने एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी को निर्देश दिए कि अपीलार्थी को बीमा राशि एक करोड़ रुपए मय ब्याज,हर्जाना 25 हजार रुपए और वाद व्यय दस हजार रुपए अदा करें।
भावेश कोठारी ने अधिवक्ता अनिल भंडारी के माध्यम से अपील दायर कर कहा कि जिला आयोग ने उनकी माताजी के स्वर्गवास होने पर बीमा कंपनी से दावा खारिज किए जाने पर दायर परिवाद को इस आधार पर 50 फीसदी ही मंजूर किया कि बीमाधारी गृहिणी थी, जबकि उन्होंने व्यवसाय करना बताया,जो कि एक तथ्यात्मक विकृति है।
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अधिवक्ता भंडारी ने कहा कि बीमाधारी हर्षिता क्रियेशन्स प्रतिष्ठान की मालिक और नियमित आयकर दाता थी। उन्होंने कहा कि बीमा कंपनी ने परिवाद का जवाब ही दाखिल नहीं किया और जिला आयोग ने बीमा कंपनी की लिखित बहस के आधार पर पिछले दरवाजे से मनमाना निष्कर्ष निकाल कर महज पचास फीसदी राशि ही मंजूर कर विधि विरुद्ध कार्य किया है सो अपील मंजूर की जाएं।
राज्य उपभोक्ता आयोग ने परिवादी की अपील मंजूर करते हुए कहा कि बीमा कंपनी ने दावा पूर्व बीमा पॉलिसी का विवरण नहीं देने पर खारिज किया था न कि आय के आधार पर,सो जिला आयोग द्वारा लिखित बहस के आधार पर पिछले दरवाजे से जो आय पर निष्कर्ष निकाल कर तथ्यात्मक विकृति शब्द का प्रयोग कदापि सराहनीय नहीं है और दावे में एक करोड़ रुपए की बजाए 50 फीसदी कटौती कर 50 लाख रुपए ही मंजूर किया जाना पूर्णतया मनमाना है। उन्होंने कहा कि दस्तावेज और साक्ष्य से यह साबित है कि बीमाधारी गृहिणी नहीं होकर स्वयं का व्यवसाय करती थी सो उन्हें गृहिणी मानकर जिला आयोग ने विधिक त्रुटि की है।
उन्होंने एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी को निर्देश दिए कि अपीलार्थी को दो माह में बीमा राशि एक करोड़ रुपए मय ब्याज, 25 हजार रुपए हर्जाना और 10 हजार रुपए वाद व्यय अदा करें।
