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सर्विस बुक की अनुपलब्धता पेंशन में बाधक नहीं

  • -राजस्थान हाईकोर्ट
  • चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग का मामला

जोधपुर(दूरदृष्टीन्यूज),सर्विस बुक की अनुपलब्धता पेंशन में बाधक नहीं। राजस्थान उच्च न्यायालय की एकलपीठ के न्यायाधीश फरजंद अली ने सफाईकर्मी के पद पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग पाली में कार्यरत रमेश नामक कर्मचारी की रिट याचिका को स्वीकार करते हुए उसे पेंशन व पेंशन संबंधी सभी लाभ दो माह में प्रदान करने व दो माह में प्रदान नहीं करने पर उसे 9 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज भी प्रदान करने का आदेश पारित किया।

कर्मचारी रमेश हरिजन की नियुक्ति चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग पाली में सफाई कर्मचारी के पद पर वर्ष 1979 हुई थी। कालान्तर में सेवानिवृत की आयु को प्राप्त करने पर उसे 31.08.2018 से सेवानिवृत कर दिया गया। सेवानिवृत के पश्चात् विभाग द्वारा उसके विरूद्ध कोई विभागीय जांच या अपराधिक प्रकरण लम्बित नहीं होने का प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया मगर उसे सेवानिवृति संबंधी लाभ प्रदान नहीं किये गये। केवल प्रोविजनल पेंशन जारी की गयी। इस पर उसने अपने अधिवक्ता प्रमेन्द्र बोहरा के माध्यम से एक विधिक नोटिस प्रेषित किया।
विधिक नोटिस के जवाब में विभाग द्वारा पत्र दिनांक 01.03.2019 द्वारा उसे यह सूचित किया गया कि उसकी सर्विस बुक उपलब्ध नहीं होने के कारण उसे पेंशन व पेंशन संबंधी लाभ प्रदान नहीं किये जा सकते।

विभाग के इस कृत्य से व्यथित होकर रमेश हरिजन ने अपने अधिवक्ता प्रमेन्द्र बोहरा के माध्यम से एक रिट याचिका उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की। उच्च न्यायालय के समक्ष प्रार्थी के अधिवक्ता का यह तर्क था कि किसी भी कर्मचारी की सर्विस बुक का संधारण उसके नियोक्ता द्वारा किया जाता है जो, उसके कर्मचारी को नियुक्ति प्रदान करता है न कि कर्मचारी द्वारा प्रार्थी की सर्विस बुक उपलबध न होना में गलती कर्मचारी की न होकर नियोक्ता की है। नियोक्ता ही सर्विस बुक का संधारण करता है व समय- समय पर उसमें प्रविष्टिया भी अंकित करता है। सर्विस बुक की अनुपलब्धता के कारण कार्मिक की पेंशन रोकना सर्वथा अनुचित है।

प्रार्थी के अधिवक्ता का आगे यह भी कथन था कि राजस्थान कर्मचारी पेंशन नियम का नियम 89 यह कहता है कि किसी भी कर्मचारी के सेवानिवृति से दो माह के भीतर उसे पेंशन व पेंशन संबंधी लाभ प्रदान करना नियोक्ता का दायित्व है अन्यथा कर्मचारी 9 प्रतिशत पेंशन पर ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है। वर्तमान वाद में प्रार्थी वर्ष 2018 में सेवानिवृत हुआ व उसे आज दिनांक तक पेंशन व पेंशन संबंधी लाभ प्रदान नहीं किये गये। विभाग द्वारा उसे वैकल्पिक पेंशन प्रदान कर इतिश्री कर ली गयी जो अनुचित व विधि विरूद्ध है।

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राज्य सरकार की ओर से जवाब प्रस्तुत कर यह तर्क दिया गया की प्रार्थी की सर्विस बुक उपलब्ध नहीं होने के कारण उसे सेवानिवृत परिलाभ प्रदान नहीं किया गये। प्रार्थी के अधिवक्ता के तर्कों से सहमत होते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय की एकलपीठ ने प्रार्थी रमेश की द्वारा प्रस्तुत रिट याचिका को स्वीकार करते हुए यह व्यवस्था भी सर्विस बुक भी अनुपलब्धा कार्मिक की पेंशन देने में बाधक नहीं हो सकता।

प्रार्थी को पेंशन नियम के तहत उसे दो माह में पेंशन प्रदान भी जाये और दो माह में प्रदान नहीं करने पर राजस्थान पेंशन विभाग के नियम 89 के तहत उसे 9 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज भी जिस दिन से यह सेवानिवृत हुआ है उस दिन से लेकर जब पेंशन प्रदान की जाती है तब तक का प्रदान किया जावे।

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