हनुमंत कथा के दूसरे दिन सुनाया हनुमान जी संग राम-सुग्रीव मित्रता प्रसंग

जोधपुर(डीडीन्यूज),हनुमंत कथा के दूसरे दिन सुनाया हनुमानजी संग राम-सुग्रीव मित्रता प्रसंग। धार्मिक उत्साह और भक्ति भाव से परिपूर्ण हनुमंत कथा के दूसरे दिन कथा में उमड़े श्रद्धालुओं ने प्रभु श्रीराम के वनवास काल,हनुमानजी से पहली भेंट और सुग्रीव से हुई ऐतिहासिक मित्रता का भावपूर्ण वर्णन सुना।

व्यासपीठ की पूजा सत्यनारायण शर्मा-शोभा शर्मा एवं सूरजकिशन व्यास ने की। कथा का संगीतमय और प्रेरणादायी प्रवचन श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविन्दगिरि ने किया,जिसमें भगवान राम की चातुर्मास साधना, सीताजी की खोज और हनुमानजी की अद्वितीय भक्ति एवं कूटनीति का विशद चित्रण हुआ।

समन्वय परिवार के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रघुनाथ सांखला ने बताया आज की कथा का प्रसंग वनवास में श्रीराम- लक्ष्मण की हनुमानजी से भेंट व ऋष्यमूक पर्वत पर भगवान राम की चातुर्मास की साधना के साथ सुग्रीव से कूटनीतिक बुद्धि से दोनों की मित्रता का जीवंत प्रसंग सुनाया।
श्रीरामजी को सीताजी की खोज करनी थी व सुग्रीव को बालि से मुक्ति पानी होती है।

हनुमानजी ने अग्नि के समक्ष दोनों की अनुपम,अखण्ड मित्रता की प्रतिज्ञा करायी। मित्रता करार नहीं संस्कार रूप से करायी। करार व संस्कार की गूढ व्याख्या करते हुए भगवान राम की सुग्रीव से मित्रता कराई। लक्ष्मण को सीताजी के समस्त आभूषण दिखाने पर वे मात्र पाजेब पहचान पाते हैं क्योंकि लक्ष्मणजी ने सीताजी के चरणों के उपर कभी दृष्टिपात नहीं किया था।

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कथा में खा कि हनुमानजी परम वैरागी हैं। सीता की खोज की योजना में मुख्य किरदार श्रीहनुमान ने लंका में जाकर की। सीता विरह के भाव को लेकर सीताजी से चूडामणि लेकर राम को सौंपी। वाल्मिकी रामायण के आधार पर भारतीय नारी की समझदारी परंपरा को गृहतारिणी बताते हुए बाली की धर्मपत्नि विदुषी तारा को सुग्रीव से बैर मिटाने में हनुमानजी की मुख्य भूमिका रही थी इसका भी विस्तार से वर्णन किया।