रेलवे अस्पताल में महिला की नाक से निकाली 5 सेंटीमीटर की पथरी

  • राइनोलिथ और साइनस में फंगस से बंद हो रही थी नाक
  • अन्य गंभीर रोगों के बावजूद हाईरिस्क ऑपरेशन से महिला को पहुंचाई राहत

जोधपुर,रेलवे अस्पताल में महिला की नाक से निकाली 5 सेंटीमीटर की पथरी। आमतौर पर गॉल ब्लेडर, किडनी अथवा मूत्र मार्ग में पथरी की परेशानी और उसके ऑपरेशन के मामले पढ़े-सुने जाते हैं लेकिन नाक की पथरी का कोई केस शायद ही आपने सुना हो।

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उत्तर पश्चिम रेलवे के जोधपुर मंडल रेलवे अस्पताल इस तरह का पहला मामला सामने आया जिसमें रेलकर्मी की आश्रित महिला की नाक में एक या दो नहीं पूरे पांच सेंटीमीटर की पथरी(राइनोलिथ) का होना पाया ही नही गया बल्कि अनेक रोगों से ग्रस्त होने के बावजूद शनिवार को बेहद हाईरिस्क ऑपरेशन कर चिकित्सक ने 50 वर्षीय इस महिला को इस पुरानी पीड़ा से मुक्ति दिलाकर राहत पहुंचाई।

जोधपुर डीआरएम पंकज कुमार सिंह ने बताया कि रेलवे अस्पताल के मॉड्यूलर ऑपरेशन थियेटर में आधुनिक सुविधाओं से रोगियों को जटिल रोगों के उपचार से राहत मिलने लगी है जो बड़ी उपलब्धि है।

रेलवे अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ ए वासुदेवन ने बताया कि जोधपुर मंडल पर कार्यरत सीनियर टेक्नीशियन राजेंद्र जावा की आश्रित महिला को नाक में पथरी और फंगस इंफेक्शन की शिकायत थी तथा अनेक प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों में उसकी अन्य बीमारियों को देखते हुए किसी ने ऑपरेशन के लिए फिट देने की रिस्क नही ली।

उन्होंने बताया कि मर्ज बढ़ता देख राजेंद्र ने इस संबंध में रेलवे अस्पताल में नाक,कान व गला रोग विशेषज्ञ डॉ गुलाबसिंह सारण से संपर्क कर इस बारे में परामर्श किया। इस पर डॉ सारण आवश्यक जांचे करवाने के बाद इस हाईरिस्क ऑपरेशन के लिए तैयार हो गए और शनिवार को महिला की नाक की पथरी (राइनोलिथ) का ऑपरेशन कर साइनस में फंगस के कारण बंद नाक खोलकर उसे बड़ी राहत पहुंचाई।

डॉ सारण ने बताया कि गुर्दे की बीमारी,डायबिटीज,बढ़े हुए यूरिया और क्रिएटिनिन के कारण महिला का नाक की पथरी का ऑपरेशन जटिल व रिस्की था लेकिन उन्होंने हाईरिस्क लेकर इसे सफलतापूर्वक पूरा किया।

ऑपरेशन थिएटर में निश्चेतना विशेषज्ञ मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ ए वासुदेवन,डॉ प्रद्युम्न कुमार,नर्सिंग स्टाफ विनीता पंवार, ऋषि गहलोत, ड्रेसर सुरेंद्र व चंद्रप्रकाश का इसमें सहयोग रहा।

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समय पर मिला उपचार,रोगी को राहत,वरना होती यह दिक्कत
तीन से लेकर चालीस साल तक की आयु के छोटे बच्चों व बड़ों में इस तरह की नाक की पथरी का होना संभव है जिसका आकार दो से लेकर पांच सेंटीमीटर तक हो सकता है। इससे अधिक बड़ी होने पर यह पथरी नाक के साइड या तालु में छेद कर बाहर भी आ सकती है। इस तरह के जटिल रोग से पीड़ित महिला को उपचार मिलने से इस रोग व इससे जनित अन्य आशंकाओं से मुक्ति और राहत मिल गई।