जोधपुर, संभाग के 95 बांधों में से सिर्फ 21 बांधों में नाम मात्र का पानी बचा है। शेष सभी बांध पूरी तरह से सूख चुके हैं। इन बांधों से जलापूर्ति व सिंचाई पर निर्भर लोगों की निगाह मानसून पर जमी है। ताकि समय पर बारिश हो तो हलक तर करने लायक पानी इन बांधों में एकत्र हो सके।

जोधपुर संभाग के सबसे बड़े जवाई बांध में ही सबसे अधिक 1354 एमसीएफटी पानी को जलापूर्ति के लिए बचा कर रखा गया है। ताकि न केवल पाली शहर बल्कि जिले के लोगों को जलापूर्ति की जा सके। इसके सहायक सेई बांध में भी 341 एमसीएफटी पानी को रोक कर रखा गया है ताकि आपात स्थिति में उसका भी उपयोग किया जा सके।

जोधपुर जिले के पांच बांधों में जसवंत सागर, सुरपूरा, बिसलपुर, जालीवाड़ा व बिराई बांध पूरी तरह से सूख चुके हैं। जालोर के तेरह बांध में से सिर्फ बीठन बांध में ही 41 एमसीएफटी पानी बचा है। सिरोही के 34 में से छह बांध में पानी है। इनमें से सबसे अधिक 41 एमसीएफटी अमगौर बांध में है। अरवाली की पर्वतमाला के बीच में बसे पाली जिले में सबसे अधिक बांध बने है। पाली जिले के 43 में से 14 बांध में ही पानी बचा हुआ है।

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जल संसाधन विभाग ने सूख चुके बांधों में से कुछेक की मरम्मत का कार्य चला रखा है। मानसून से पहले इन कार्यों को पूरा करने की अहम चुनौती उसके सामने है। जोधपुर जिले का सबसे बड़ा जसवंत सागर बांध करीब बारह वर्ष पूर्व पूरा भरने के बाद इसकी कमजोर दीवारें पानी का दबाव सह नहीं पाई।

इस कारण दीवार ढह गई और सारा पानी बहकर चला गया था। इससे कुछेक गांवों में बाढ़ के हालात भी पैदा हुए थे। इस तरह के हालात फिर से पैदा न हो इसे ध्यान में रख जल संसाधन पूरी तैयारी में जुटा है। इस बार मानसून के तय समय पर पहुंचने की उम्मीद है। ऐसे में लोग उम्मीद लगा कर बैठे है कि बारिस हो तो इन बांधों में पानी आए और उन्हें पेयजल संकट से निजात मिले।