आयुर्वेद के भारतीय विशिष्ट उत्पादों के पेटेन्टीकरण पर कार्य हो- राज्यपाल

  • डा.सर्वपल्ली राधाकृष्णन् राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय,जोधपुर का दीक्षांत समारोह
  • राज्यपाल ने नैचुरापैथ एवं योग महाविद्यालय भवन का लोकार्पण किया
  • आयुर्वेद के चिकित्सकीय ज्ञान को आधुनिक आवश्यकताओं के अनुरूप विकसित किया जाए

जोधपुर,आयुर्वेद के भारतीय विशिष्ट उत्पादों के पेटेन्टीकरण पर कार्य हो- राज्यपाल। राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि आयुर्वेद विश्वविद्यालय प्राचीन भारतीय आयुर्वेद चिकित्सकीय ज्ञान को पुस्तकों, शास्त्रों से बाहर लाने और आधुनिक आवश्यकताओं के अनुसार उसे विकसित करने की दृष्टि से कार्य करें। विश्वविद्यालय आयुर्वेद के भारतीय विशिष्ट उत्पादों के पेटेन्टीकरण में भी आगे बढ़े। मिश्र मंगलवार को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन् राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय के सप्तम दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारतीय आयुष पद्धतियां,योग,प्राणायाम प्रकृति से जुड़ा जीवन बचाने का ज्ञान है। नवीन अनुसंधानों ने इसे प्रमाणित किया है कि आयुर्वेद असाध्य रोगों में भी बहुत कारगर है। उन्होंने कहा कि इस ज्ञान का उपयोग जीवन बचाने के लिए कैसे हो,इस पर विश्वविद्यालय कार्य करें।

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राज्यपाल ने कहा कि आयुर्वेद स्वास्थ्य से जुड़ा महती ज्ञान है। इसका उपयोग गरीब,जरूतमंदों की निःस्वार्स्थ भाव से सेवा में किया जाए। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा आईआईटी.जोधपुर के साथ मिलकर आर्युटेक के माध्यम से आयुर्वेद के मनीषियों द्वारा बताए हुए यंत्रो के आधुनिकीकरण के लिए किए जा रहे कार्यों की सराहना की। मिश्र ने प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के ’विकसित भारत 2047’ के संकल्प की पूर्ति के लिए युवाओं को आगे आकर सहभागिता निभाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि युवाओं से मेरी यह भी अपेक्षा है कि वे प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के ज्ञान को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में विकसित करते हुए भारत की इस महान विरासत के जरिए राष्ट्र को नई दिशाएं दें।

उन्होंने आयुर्वेद शिक्षा से जुड़े युवाओं से अपनी श्रमशील,संयमशील, उद्यमशील एवं प्रबंधकीय क्षमता का भरपूर उपयोग करते हुए आयुष पद्धति की भारतीय दृष्टि के उदात्तचरित की उत्तरोतर वृद्धि कर पूरे विश्व का नेतृत्व किए जाने पर जोर दिया।

मिश्र ने विश्वविद्यालय के पंचकर्म विभाग के अंतर्गत “अंतराष्ट्रीय सेन्टर ऑफ ऐक्सीलेन्स” के निर्माण को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि इससे आयुर्वेद पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने भारत सरकार की आयुष वीजा नीति है,आयुर्वेद के ज्ञान के वैश्विक प्रसार के लिए किए जा रहे कार्यों को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद न केवल चिकित्सा पद्धति है अपितु समग्र जीवन पद्धति है।

कुलपति प्रो.(वैद्य) प्रदीप कुमार प्रजापति ने विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. वैद्य बनवारी लाल गौड़ ने शिक्षा की प्राचीन भारतीय परंपरा और आयुर्वेद की भारतीय चिकित्सा पद्धति के महत्व और भविष्य की संभावनाओं के आलोक में दीक्षांत भाषण दिया।
राज्यपाल ने दीक्षांत समारोह में आयुर्वेद,होम्योपैथी,यूनानी,प्राकृतिक और योग संकाय के 2 हजार 416 विद्यार्थियों को स्नातक,स्नातकोत्तर और पीएचडी की उपाधियां प्रदान की। उन्होंने विभिन्न संकायों की 10 छात्राओं को और एक विद्यार्थी को कुल 11 स्वर्ण पदक प्रदान किए।

उन्होंने कहा कि बालिकाओं का शिक्षा में उत्कृष्टता का यह प्रदर्शन सराहनीय है। एक बालिका यदि पढ़ती है तो दो परिवार शिक्षित हो जाते हैं। उन्होंने महिला शिक्षा को मातृ शक्ति का सम्मान बताया।इससे पहले उन्होंने डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन आयुर्वेद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो.वैद्य बनवारी लाल गौड़ को विश्वविद्यालय डीलिट की मानद उपाधि प्रदान की। राज्यपाल कलराज मिश्र ने विश्वविद्यालय परिसर में नैचुरापैथ एवं योग महाविद्यालय भवन का ऑनलाइन लोकार्पण भी किया। प्रारंभ में उन्होंने संविधान की उद्देशिका और मूल कर्तव्यों का वाचन करवाया।

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समारोह में विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो.(वैद्य) बनवारी लाल गौड़,कुलपति प्रो.वैद्य प्रदीप कुमार प्रजापति,कुलसचिव प्रो.गोविंद सहाय शुक्ल,प्रबंध मंडल के सदस्य,अन्य निकायों के सदस्य,विश्वविद्यालय के शिक्षक,अधिकारी,उपाधि एवं पदक प्राप्त विद्यार्थी सहित उनके अभिभावक उपस्थित थे।