शिक्षा का उपयोग कृषि अर्थव्यवस्था से देश सुदृढ़ीकरण में करें-मिश्र

  • कृषि विश्वविद्यालय का पंचम दीक्षांत समारोह
  • संविधान पार्क का किया लोकार्पण

जोधपुर,शिक्षा का उपयोग कृषि अर्थव्यवस्था से देश सुदृढ़ीकरण में करें-मिश्र।राज्यपाल व कुलाधिपति कलराज मिश्र ने कहा है कि विद्यार्थी कृषि शिक्षा का उपयोग किसानों और कृषि अर्थव्यवस्था के जरिए देश के सुदृढ़ीकरण में करें। उन्होंने ‘विकसित भारत 2047’ के लिए युवाओं को महती भूमिका निभाने का आह्वान करते हुए कृषि में नवाचार अपनाते हुए कार्य किए जाने पर भी जोर दिया। उन्होंने एआई के उपयोग से कृषि की वैश्विक चुनौतियों को स्वीकार करते कृषि वैज्ञानिकों से जलवायु अनुरूप कृषि के विकास के लिए भी कार्य करने की आवश्यकता जताई।

उन्होंने संविधान को सर्वोच्च बताते हुए अधिकारों के साथ कर्तव्यों के प्रति भी जागरूक रहने का आह्वान किया।

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राज्यपाल मिश्र जोधपुर स्थित कृषि विश्वविद्यालय के पंचम दीक्षांत समारोह और वहां संविधान पार्क के लोकार्पण समारोह में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज देश तेजी से विश्व की सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। कृषि क्षेत्र की इसमें बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। इसलिए कृषि शिक्षा के जरिए देश के भावी विकास की योजनाओं के विद्यार्थी सहभागी बनें। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में संविधान पार्क इसीलिए बनाए गए हैं कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाली नई पीढ़ी संविधान संकृति से जुड़ सके। उन्होंने संविधान की मूल प्रति पर उकेरे चित्रों के संदर्भ में युवाओं को भारतीय उदात्त जीवन मूल्यों से जुड़ने पर भी जोर दिया। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय में ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाने पर भी जोर दिया जिनसे युवा रोजगार ढूंढने वाले नहीं बल्कि रोजगार देने वाले बनें।

मिश्र कहा कि वैदिक काल,ऋग्वेद तथा अन्य वैदिक ग्रन्थों से हमें व्यवस्थित ढंग से कृषि और पशुपालन के प्रमाण निरंतर मिलते रहे हैं। इससे पता चलता है कि तब खेती कितनी अधिक व्यावहारिक और वैज्ञानिक थी। उन्होंने कहा कि व्यावसायिकरण और अधिक उत्पादन की लालसा ने कृषि क्षेत्र को सभी दृष्टि से अलाभकारी बना दिया है। कृषि अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार है। हम एक ऐसी रणनीति विकसित करें। जिससे खेती समग्र रूप में देश के लिए लाभकारी हो। साथ ही, कृषि शिक्षा में पारम्परिक कृषि से आधुनिक तकनीक की शिक्षा पर ध्यान देते हुए कार्य किया जाए।

राज्यपाल मिश्र ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय कृषि शिक्षा के अंतर्गत भूमि की उर्वरा शक्ति को बचाए रखने, उन्नत बीज के देशी संस्करणों के विकास, जलवायु के आधार पर स्थान विशेष में खेती के साथ किसानों के पारम्परिक ज्ञान को सहेजते हुए कार्य करें। कृषि विज्ञान केन्द्रों को इस तरह से विकसित किया जाए कि वहां से हर आम और खास को युगानुकल कृषि विकास से जुड़ी अद्यतन सूचनाएं मिल सकें।

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मिश्र कहा कि वर्तमान समय आर्टिफिशियल इन्टेलिजेंस का है। एआई प्रौद्योगिकि रोपण, निराई, सिंचाई कीट नियत्रण और कटाई जैसे कुछ कृषि कार्यों को स्वचालित करके मैन्युअल श्रम की आवश्यकता को कम करने और खेतों पर दक्षता बढ़ाने में मद्दगार है। एआई किसानो को किसी विशेष मौसम परिदृश्य के लिए उचित और व्यावहारिक बीज चुनने में मदद करता है। साथ ही, यह मौसम पूर्वानुमान पर डेटा भी प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि एआई-सचालित समाधान किसानो को कम संसाधनों के साथ अधिक उत्पादन करने, फसल की गुणवत्ता बढ़ाने और उत्पाद को बाजार तक पहुंचने में तेजी लाने में मदद कर सकते हैं।

कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर चौधरी ने बताया कि कृषि विश्वविद्यालय,जोधपुर बहु-संकाय संस्थान के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल हुआ है। यहाँ कृषि के अतिरिक्त डेयरी प्रौद्योगिकी, कृषि अभियांत्रिकी तथा खाद्य प्रौद्योगिकी के पाठ्यक्रम प्रारंभ किये गये हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2023-24 से कृषि व्यवसाय प्रबंधन में एमबीए तथा सोयल साइंस में एमएससी पाठ्यक्रम प्रारंभ किए गए हैं। राजस्थान में यह पहला विश्वविद्यालय है जहाँ आर्गेनिक फार्मिंग कोर्स प्रारंभ किया गया है।

कृषि विश्वविद्यालय के पंचम दीक्षांत समारोह के दौरान राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ने स्नातक की 165, स्नातकोत्तर की 18,पीएचडी की 3 डिग्री और टॉपर को 8 स्वर्ण पदक प्रदान किए ।

राज्यपाल मिश्र ने कृषि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित उन्नत बीज, खाद और कृषि उत्पादों की प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया और विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित स्मारिका का लोकार्पण किया। आरंभ में सभी को उन्होंने संविधान की उद्देशिका और मूल कर्तव्यों का वाचन करवाया।

समारोह में आयुर्वेद विश्वविद्यालय कुलपति प्रदीप प्रजापति,कृषि विश्वविद्यालय की कुलसचिव अदिति पुरोहित,प्रबंध मण्डल व विद्या परिषद के सदस्य,आचार्यगण, उपाधि एवं पदक प्राप्त विद्यार्थी सहित उनके अभिभावक उपस्थित थे।

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