• खुले में शौच से मुक्ति के बाद अब बदलेगी गांवों की सूरत
  • ओडीएफ प्लस 51 लाख नए घरेलू शौचालयों का होगा निर्माण
  • 01 लाख सामुदायिक शौचालय बनेंगे
  • 02 लाख गांवों में ठोस कचरा प्रबंधन प्रोजेक्ट
  • 1.82 लाख गांव में ग्रे-वॉटर मैनेजमेंट संयंत्र लगेंगे

नई दिल्ली, स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के प्रथम चरण में गांव खुले में शौच से मुक्त हुए। अब द्वितीय चरण में स्वच्छता को लेकर गांवों की सूरत बदलने की तैयारी है। 51 लाख घरेलू शौचालय,एक लाख सामुदायिक स्वच्छता कॉम्लेक्स, दो लाख गांवों में ठोस कचरा प्रबंधन योजना,1.82 हजार गांव में ग्रे-वॉटर मैनेजमेंट प्रोजेक्ट, 2500 ब्लॉकों में प्लास्टिक कचरा प्रबंधन यूनिट और 386 जिलों में गोबरधन प्रबंधन संयंत्र लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। राज्यों के सहयोग से चलने वाले ओडीएफ प्लस अभियान पर 41 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे।

 मंत्री स्वच्छ भारत मिशन

बुधवार को केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने स्वच्छ भारत अभियान (ग्रामीण), द्वितीय चरण के अंतर्गत ओडीएफ प्लस पांच मैनुएल्स का अनावरण किया। उन्होंने कहा कि लाल किले की प्राचीर से जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शौचालय शब्द उच्चारित किया गया था, तब कुछ लोगों को आपत्ति थी और आज जब स्वच्छ भारत अभियान एक इतिहास बना चुका है, तब उनके पास बगलें झांकने के अलावा कोई उपाय नहीं है। खुले में शौच से मुक्ति का अभियान अब आदत में परिवर्तित हो चुका है और जरूरी है कि शौचालयों का उपयोग सामाजिक रहन-सहन की अनिवार्यता बन जाए। दूसरा फेस इस संकल्प को ही लक्षित है।

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केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि ओडीएफ प्लस में प्रयास रहेगा कि रसोई और स्नानघर से निकलने वाला ग्रे-वॉटर का रिसाइकिल होने के बाद कृषि या कॉमर्शियल क्षेत्र में इस्तेमाल किया जा सके। अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो उसका उपयोग भूगर्भ भरण के काम में हो। प्लास्टिक अपशिष्ट और गोबरधन संयंत्र एक बिजनेस मॉडल बने, इस बात पर जोर दिया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि एक वैश्विक रिपोर्ट में सामने आया कि स्वच्छ भारत मिशन से हर ग्रामीण परिवार को 53 हजार रुपए का सालाना लाभ हुआ। ओडीएफ प्लस में संपूर्ण स्वच्छता से जोड़ा गया है। द्वितीय चरण को भी जनभागीदारी और 5 पी के सिद्धांत, यानी राजनीतिक इच्छाशक्ति, सरकार की तरफ से निरंतर खर्च, अनुभवी व विशेषज्ञों की साझेदारी, जनभागदारी और व्यवहार में बदलाव का निरंतर आग्रह करना से जोड़ा गया है।

जनभागीदारी और इनोवेटिव तरीकों से होगा काम

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने जब 2 अक्टूबर 2019 को खुले में शौच मुक्त गांवों की घोषणा की थी, तब देश में स्वच्छता का कवरेज 39 प्रतिशत था। उसके बाद 10 करोड़ से अधिक नए शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है। प्रधानमंत्री हमेशा कहते हैं कि कोई भी बड़ा काम तब तक सफल नहीं हो सकता, जब तक कि वह जन आंदोलन ना बने।

द्वितीय चरण में जनभागीदारी और इनोवेटिव तरीके से परियोनाओं पर काम होगा, जिससे एक साल के कालखंड में देश के अधिकाधिक गांव को ठोस और तरल कचरे से मुक्त करने की दिशा में हम आगे बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन में हर घर नल की योजना पर तेजी से काम हो रहा है। दोनों लक्ष्यों को प्राप्त करने के बाद देश की जीडीपी में हम बड़ा योगदान कर पाएंगे।

41 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे

शेखावत ने बताया कि राज्यों के सहयोग से चलने वाले ओडीएफ प्लस अभियान पर 41 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसमें केंद्र 13,982 करोड़ की हिस्सेदारी करेगा, जबकि राज्य सरकारों का हिस्सा 8332 करोड़ रुपए है। 15वें वित्त आयोग से ग्रामीण स्थानीय निकायों को मिले अनुदान से 12,730 करोड़ और मनरेगा से 4138 करोड़ रुपए उपलब्ध कराए जाएंगे। शेष 1522 करोड़ रुपए राज्यों द्वारा अन्य स्रोतों से निवेश किए जाएंगे।

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