दो एएसआई और एक हैडकांस्टेबल सस्पेंड
- ढाई साल तक पुलिस परिवाद पर एफआईआर दर्ज नहीं कर पाई
- धोखाधड़ी के केस को लेकर वर्ष 2022 में दिया गया था परिवाद
- इस साल पांच जुलाई को दर्ज हुई रिपोर्ट
- जांच करने वाले अधिकारियों पर गिरी गाज
जोधपुर(डीडीन्यूज),दो एएसआई और एक हैडकांस्टेबल सस्पेंड।कमिश्ररेट पुलिस की कारगुजारियां धीरे-धीरे सामने आ रही हैं। पुलिस थाने में लूट और अपहरण के आरोप में चार पुलिस कर्मी नौकरी से बर्खास्त हुए,अब दो एएसआई और एक हैडकांस्टेबल को अपनी कार्य में कोताही बरते जाने पर निलंबित कर दिया गया है।
साल 2022 अक्टूबर में दिए गए एक परिवाद को ढाईसाल तक लटकाए रखा और केस दर्ज नहीं किया। आखिरकार पीडि़त पुलिस आयुक्त राजेंद्र सिंह के समक्ष उपस्थित हुआ तब सरदारपुरा थाने में 5 जुलाई को परिवाद पर धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया। एएसआई परसाराम,हनुमानराम एवं हैडकास्टेबल शकील को निलंबित किया गया है। हनुमामराम पहले सरदारपुरा थाने में तैनात थे और अब प्रतापनगर थाने मे तैनात है, जबकि शकील अब ट्राफिक में लगा हुआ है।
पुलिस आयुक्त राजेंद्र सिंह ने बताया कि एक परिवादी जून माह में आया था। उसने अपने साथ हुई धोखाधड़ी के संबंध में परिवाद दिया था। उसका कहना था कि यह परिवाद 10 अक्टूबर 22 को पुलिस को दिया गया,मगर उसका केस दर्ज नहीं किया गया। इसमें गंभीरता को देखते हुए दोनों एएसआई और हैडकांस्टेबल को कार्य में कोताही बरते जाने पर निलंबित किया गया है।
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यह है मामला
नौकरी लगाने का झांसा देकर दो लाख रुपए ऐंठे,चार युवकों से धोखाधड़ी- सरदारपुरा थाना पुलिस ने बताया कि बालेसर थानान्तर्गत सेखाला में भालू राजवा निवासी भोमाराम मेघवाल ने ऐजाज खान व महेंद्र सिंह भाटी के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया था। आरोप है कि वह केजी मानवाधिकार न्याय सुरक्षा परिषद का कार्यकर्ता है। उसे व चार दोस्तों को नौकरी की जरूरत थी। वर्ष 2022 में परिचित ऐजाज ने प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी में नौकरी लगाने का भरोसा दिलाया। इसके लिए उनकी मुलाकात नेहरू कॉलोनी निवासी महेन्द्रसिंह भाटी से करवाई। उसने खुद को एक पार्टी महामंत्री और उम्मेद सिंह का गोदपुत्र बताया।
नौकरी के लिए 50-50 हजार रुपए व दस्तावेज मांगे थे। इस पर भोमा राम,दोस्त जब्बरसिंह,जितेन्द्र व मगाराम ने दो लाख रुपए और 10वीं,12वीं की मार्कशीट,पेन व आधार कार्ड आदि दिए।
ओमप्रकाश रुपए नहीं दे पाया। कुछ दिन बाद जितेन्द्र व जब्बर सिंह के दस्तावेज लौटा दिए गए थे। ओम प्रकाश व मगाराम के दस्तावेज नहीं लौटाए गए,न ही इनको नौकरी मिल पाई। डेढ़ साल तक टालमटोल करने के बावजूद रुपए व दस्तावेज नहीं लौटा गए। इस घटना को लेकर गत 5 जुलाई को पुलिस में प्रकरण दर्ज हो पाया।