ग्रामीणों के जयघोष के बीच शहीद लक्ष्मण का अस्थिकलश हरिद्वार रवाना
चाह नहीं, मैं सुरबाला के
गहनों में गूँथा जाऊं……
मुझे तोड़ लेना बनमाली,
उस पथ पर देना तुम फेंक!
मातृ-भूमि पर शीश- चढ़ाने,
जिस पथ पर जावें वीर अनेक!
माखनलाल चतुर्वेदी की कविता की इन पंक्तियों को खेजड़ला के ग्रामीणों ने चरित्रार्थ कर दिखाया। हुआ यूं कि पिछले दिनों वीरगति को प्राप्त हुए भारतीय सेना के वीर सैनिक लक्ष्मण का अस्थि कलश लेकर परिजन जब हरिद्वार के लिए रवाना हुए तो शहीद के सम्मान में खेजड़ला के ग्रामीणों ने लगभग एक किमी तक उनके आगे रास्ते में फूल बिछाते हुए सैनिक की शहादत का समान किया।
शहीद के भाई सुनील चौधरी व परिजन शहीद की अस्थियां लेकर बाजार के रास्ते पहुंचे जहां ग्रामीणों ने फूलों की वर्षा करते हुए वीर सैनिक के सम्मान में नारे लगाए। जब तक सूरज चाँद रहेगा लक्षमण तेरा नाम रहेगा.., लक्षमण तेरा यह बलिदान याद रखेगा हिंदुस्तान सहित कई देश भक्ति नारे लगाए। शहीद की अस्थियों को परिजन बाजार से होते हुए बस स्टैंड पहुंचे इस दौरान पूरे गांव के सभी प्रतिष्ठान बन्द करते हुए शहीद की जय जयकार करते हुए उनके साथ समल्लित हो गए। माहौल ठीक उसी तरह बन गया जैसा शहीद लक्ष्मण की पार्थिव देह खेजड़ला गांव पहुंची थी।