जोधपुर, नांदडी़ स्थित शिव मंदिर में आयोजित शिवमहापुराण कथा के छठे दिन दिन शनिवार को भक्तों की भीड़ उमड़ी। पंडित दामोदर भारद्वाज ने आज अपने प्रवचन मे शिव पुराण में प्रमुख रूप से शिव-भक्ति और शिव-महिमा का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने कहा कि लगभग सभी पुराणों में शिव को त्याग, तपस्या, वात्सल्य तथा करुणा की मूर्ति बताया गया है। शिव सहज ही प्रसन्न हो जाने वाले एवं मनोवांछित फल देने वाले हैं। ‘शिव पुराण’ में शिव के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए उनके रहन- सहन, विवाह और उनके पुत्रों की उत्पत्ति के विषय में व्याख्या की। उन्होंने कहा भगवान शिव सदैव लोकोपकारी और हितकारी हैं। त्रिदेवों में इन्हें संहार का देवता भी माना गया है।
शिवोपासना को अत्यन्त सरल माना गया है। उन्होंने कहा कि शिव तो स्वच्छ जल, बिल्व पत्र, कंटीले और न खाए जाने वाले पौधों के फल धूतरा आदि से ही प्रसन्न हो जाते हैं। शिव को मनोरम वेशभूषा और अलंकारों की आवश्यकता भी नहीं है। वे तो औघड़ बाबा हैं। जटाजूट धारी, गले में लिपटे नाग और रुद्राक्ष की मालाएं, शरीर पर बाघम्बर, चिता की भस्म लगाए एवं हाथ में त्रिशूल पकड़े हुए वे सारे विश्व को अपनी पद्चाप तथा डमरू की कर्णभेदी ध्वनि से नचाते रहते हैं।
इस अवसर पर केसाराम डूडी, जेठाराम डूडी, सुखाराम पारसिया, कानाराम डूडी सहित अनेक भक्तजन मंगलाचरण आरती में शामिल हुए। शिव मंदिर समिति के अध्यक्ष ने बताया कि कथा का समय दोपहर एक बजे से शाम पांच बजे तक रखा गया है। कथा पूर्ण आरती शनिवार को होगी। इस मौके पर दामोदर भररद्वाज का अभिनन्दन किया जाएगा।
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