जिला आयोग ने खारिज कर दिया था परिवाद,राज्य आयोग ने स्वीकार की उपभोक्ता की अपील
जोधपुर,जिला आयोग ने खारिज कर दिया था परिवाद,राज्य आयोग ने स्वीकार की उपभोक्ता की अपील। राज्य उपभोक्ता आयोग जोधपुर बैंच ने चोरी हुई कार की कीमत के बीमा क्लेम का आदेश दिया है। राज्य आयोग ने उपभोक्ता उस अपील को स्वीकार किया है जिसे जिला आयोग ने खारिज कर दिया था।
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राज्य उपभोक्ता आयोग बैंच जोधपुर में शास्त्री नगर निवासी मुकेश मेहता ने एचडीएफसी एग्रो इंश्योरेंस के विरुद्ध जिला उपभोक्ता आयोग के फैसले के खिलाफ अपील प्रस्तुत करते हुए बताया था कि उसकी होंडा सिटी कार की कीमत 10 लाख 23 हजार 355 रुपए थी। कार वर्ष 2012 में खरीदी थी जिसका लगातार बीमा करवाया जाता रहा। गत 16 जुलाई 2016 को सुबह क्लीनर ने कार की सफाई करके चाबी पोर्च में रख दी। परिवादी जब घर के बाहर निकला तो गाड़ी की चाबी नहीं मिली एवं कार भी गायब थी।
परिवादी ने पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाई और बीमा कंपनी को भी चोरी की सूचना दी। बीमा कंपनी ने जांच के पश्चात उपभोक्ता का दावा यह कहकर ख़ारिज कर दिया कि परिवादी ने कार की चाबी को कार के साथ ही छोड़ दिया था जो लापरवाही की श्रेणी में आता है। इसलिए बीमा कंपनी दावा राशि देने के लिए उत्तरदायी नहीं है।
परिवादी ने बीमा कंपनी के विरुद्ध जिला आयोग जोधपुर प्रथम में कार की कीमत मांगते हुए परिवाद प्रस्तुत किया जिसे जिला आयोग ने परिवादी की लापरवाही मानते हुए परिवाद को नामंजूर कर दिया।
आयोग ने यह की टिप्प्णी
परिवादी ने जिला आयोग के फैसले के विरुद्ध राज्य उपभोक्ता आयोग जोधपुर बैंच में अपील प्रस्तुत की। आयोग के सदस्य न्यायिक निर्मल सिंह मेडतवाल व सदस्य लियाकत अली दोनों पक्षों की बहस सुनकर इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि उपभोक्ता ने कार को असुरक्षित रूप से अपने घर के बाहर खड़ा नहीं किया था। बीमा पॉलिसी की शर्तों के अनुसार दुर्घटना हो जाने अथवा खराब हो जाने पर वाहन को असुरक्षित रूप से नहीं छोड़ा जाएगा। इस मामले में वहां कोई दुर्घटना नहीं हुई थी ना ही वाहन खराब हुआ था। इसलिए वाहन को असुरक्षित रूप से खड़ा किया जाना साबित नहीं होता है। वाहन की चाबी घर के अंदर पोर्च में रखी हुई थी जो परिवादी की लापरवाही नहीं मानी जा सकती।
आयोग ने अपीलार्थी मुकेश मेहता की अपील को स्वीकार करते हुए बीमा कंपनी को कार की आईडीवी वैल्यू छह लाख 75 हजार 500 रुपए व नौ प्रतिशत ब्याज की राशि बीमा क्लेम खारिज करने की तारीख से करें अदा करने के आदेश दिए। साथ ही मानसिक परेशानी के 25 हजार व अपील व्यय के भी दस हजार रुपए अदा करने के आदेश दिए। अपीलार्थी की ओर से अधिवक्ता एमवाई खान और बीमा कंपनी की ओर से अधिवक्ता धनपत चौधरी ने पैरवी की।