जोधपुर, फिल्म फेस्टिवल के तीसरे दिन सोमवार को क्षेत्रीय भाषाएं, राजस्थानी भाषा मान्यता, संघर्ष एवं चुनौतियां विषय पर टॉक शो का आयोजन किया गया। इस टॉक शो में सभी वक्ताओं ने एक सुर में राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाने के लिए आर-पार की लड़ाई लड़ने का संकल्प दोहराया।
टॉक शो में राजस्थान फाउंडेशन के कमिश्नर धीरज श्रीवास्तव मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे। मायड़ भाषा संघर्ष समिति की अध्यक्ष तरनीजा मोहन राठौड़, माणक पत्रिका के प्रधान संपादक पदम मेहता, हास्य कलाकार प्रतीक मुथा और फिल्म अभिनेता यशपाल शर्मा विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे।
टॉक शो में राजस्थान फाउंडेशन के अध्यक्ष धीरज श्रीवास्तव ने कहा कि किसी भी प्रदेश की भाषा और भोजन संस्कृति का मुख्य आधार होता है और इस को मजबूती दिए बिना कोई भी धरोहर सुरक्षित नहीं रह सकती है। उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए लंबा संघर्ष चला है लेकिन वर्तमान परिस्थितियों को देखकर ऐसा लगता है कि अब हम मंजिल के काफी करीब है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने राजस्थानी फिल्म उद्योग को बढ़ावा देने के लिए हाल ही के बजट में फिल्म पर्यटन प्रोत्साहन नीति लागू की है, जिसमें क्षेत्रीय भाषाओं के फिल्म निर्माताओं को 25 लाख रुपए तक का इंसेंटिव देने की घोषणा की है।
उन्होंने कहा कि नई फिल्म नीति से राजस्थानी फिल्म का नया स्वरूप देखने को मिलेगा और युवा काफी महत्वपूर्ण भागीदारी निभाएंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजस्थानी भाषा को संवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए काफी सजग हैं और पूरा विश्वास है कि उनकी पहल पर केंद्र सरकार जल्द ही राजस्थानी भाषा को संवैधानिक दर्जा देगी।
माणक पत्रिका के संपादक पदम मेहता ने कहा कि कोई भी व्यक्ति मां, मातृभाषा और मातृभूमि से अलग नहीं हो सकता है। राजस्थानी भाषा हमारी मातृभाषा है और इसकी मान्यता के लिए आजादी से पहले संघर्ष चल रहा है।
उन्होंने बताया कि राजस्थानी भाषा को मान्यता नहीं मिलने से नई पीढ़ी राजस्थानी भाषा से विमुख हो रही है। इसलिए हमें अपने संस्कारों को जीवित रखते हुए अपने दिनचर्या में राजस्थानी भाषा को शामिल करना होगा।
हमारी राजस्थानी भाषा का शब्द कोष काफी बड़ा है और हमें अपनी युवा पीढ़ी को भी राजस्थानी भाषा के साथ जुड़ाव करना होगा। मायड़ भाषा संघर्ष समिति की अध्यक्ष तरनीजा मोहन राठौड़ ने कहा कि राजस्थानी भाषा की मान्यता को लेकर संघर्ष तो बहुत लंबा चल रहा है लेकिन हमें स्वयं को इसे अपनाना होगा।
हम जहां कहीं भी जाएं राजस्थानी भाषा में बात करें, राजस्थानी ही बोलें तो निश्चित रूप से राजस्थान का गौरव बढ़ेगा, साथ ही हमें भी अपनेपन का एहसास होगा। उन्होंने कहा कि इस बार सभी राजस्थानियों ने दृढ़ निश्चय कर लिया है कि जब तक राजस्थानी भाषा को संवैधानिक दर्जा नहीं दिया जाएगा तब तक वह चुप नहीं रहेंगे। इसलिए हमें उम्मीद है कि जल्द ही हमारी भाषा को संवैधानिक दर्जा मिलेगा।
युवा कलाकार प्रतीक मुथा ने कहा कि राजस्थानी भाषा को अब तक मान्यता नहीं मिलना हम सभी के लिए सोचने का विषय है, लेकिन इसके लिए कहीं न कहीं हमारी भी कमी है।
जब तक हम अपने छद्म मानसिकता को नही त्यागेंगे तब तक हमारा संघर्ष पूरा नहीं हो सकता है। हमें हमारी भाषा को स्वयं को दिल से सम्मान देना होगा, उसके बाद सभी लोग उसे सम्मान देंगे।
फिल्म अभिनेता यशपाल शर्मा ने भी राजस्थानी भाषा को मान्यता देने की बात का समर्थन करते हुए कहा कि इस फिल्म शो में कई राजस्थानी फिल्म ऐसी आई है जो वास्तव में देशभर में प्रदर्शित करने योग्य है। कोई भी सिनेमा पैसों से नहीं पैशन से बनता है।
यदि हम क्षेत्रीय भाषा में ही क्वालिटी की फिल्म बनाएंगे तो निश्चित रूप से दर्शक उसकी ओर आकर्षित होंगे। टॉक शो के समापन पर डिप्टी डायरेक्टर सोमेंद्र हर्ष ने सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
रिफ की सह निदेशक अंशु हर्ष ने टॉक शो का संचालन किया। इस अवसर पर जर्मनी से आये हरगोविंद सिंह राणा व लंदन से आए संजीव पुगलिया ने कहा कि हम विदेशों में भी अपने घर में राजस्थानी भाषा का प्रयोग करते हैं। इस अवसर पर समाजसेवी विमला गट्टानी और प्रवीण मेढ ने भी राजस्थानी भाषा पर अपने विचार व्यक्त किए।
रंग बिरंगी राजस्थानी पोशाकों से भरा नजर आया सिनेमा हॉल
राजस्थान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के तीसरे दिन राजस्थानी भाषा की मान्यता, संघर्ष व चुनौतियां विषय पर हुए टॉक शो में मायड़ भाषा संघर्ष समिति के सभी पदाधिकारी रंग बिरंगी राजस्थानी वेशभूषा पहनकर पहुंची।
पूरे टॉक शो में सभी महिलाओं ने काफी उत्साह के साथ भाग लिया। महिलाओं ने पूरे आत्मविश्वास के साथ कहा कि अब राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए अग्रिम पंक्ति में रहकर संघर्ष करने के लिए तैयार है।
आज का टॉक शो का विषय
राजस्थान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के डायरेक्टर सोमेंदर हर्ष ने बताया कि मंगलवार को “सिनेमा द्वारा पर्यटन, निवेश व संस्कृति को बढ़ावा” विषय पर सेमिनार का आयोजन किया जाएगा। इस सेमिनार के माध्यम से राजस्थानी सिनेमा प्रदेश में पर्यटन निवेश को किस तरह से बढ़ा सकता है इस पर चर्चा की जाएगी।
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