एम्स जोधपुर में बिना चीरे के सफल किडनी प्रत्यारोपण

नई तकनीक से माँ ने बेटे को दिया जीवनदान

जोधपुर,एम्स जोधपुर में बिना चीरे के सफल किडनी प्रत्यारोपण। एम्स जोधपुर में डॉ.एएस संधू के नेतृत्व में डॉ.महेंद्र सिंह द्वारा माँ डोनर के पेट में चीरा लगाए बिना योनि मार्ग से किडनी निकाल कर उसके पुत्र में किडनी प्रत्यारोपण किया गया।

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एम्स में ज़्यादातर किडनी देने वाले से किडनी दूरबीन विधि से निकाली जाती है जिससे रिकवरी बड़ी जल्दी होती है। दूरबीन विधि से किडनी निकालने से डॉनर के पेट में छोटा सा ही चीरा लगता है। जबकि इस केस में किडनी देने वाली माँ के पेट में बिना चीरा लगाए योनि मार्ग से किडनी निकाली गयी तथा उसके पुत्र में प्रत्यारोपित की गयी।

इस निशान रहित सर्जरी से मरीज़ को ऑपरेशन के बाद कम दर्द हुआ तथा पेट पर कोई निशान भी नहीं रहा। प्रत्यारोपित की गयी किडनी भी अच्छी तरह काम कर रही है और माँ और बेटा दोनों स्वस्थ हैं तथा अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।

इस सर्जरी में यूरोलॉजी टीम के डॉ. एएस संधू के नेतृत्व में डॉ महेंद्र सिंह के साथ डॉ.गौतम राम चौधरी,डॉ. शिवचरण नावरिया,डॉ.दीपक भीरूड,प्रवीण और अतुल शामिल थे। एनेस्थीसिया टीम में डॉ.प्रदीप भाटिया और डॉ.अंकुर शर्मा, नेफ्रोलॉजी से डॉ.मनीष चतुर्वेदी, राजेश जौरावट शामिल थे।

डॉ. एएस संधू के अनुसार एम्स जोधपुर में अभी तक 52 सफल किडनी प्रत्यारोपण हो चुके हैं जिसमें 48 किडनी प्रत्यारोपण रिश्तेदारों द्वारा तथा चार मृत दाता से प्राप्त किए गए हैं। जिन मरीज़ों में किडनी प्रत्यारोपण किया गया है वह पूर्णतया स्वस्थ हैं और अच्छा जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

किडनी प्रत्यारोपण के पश्चात अधिकांश मरीज़ डायलिसिस की तुलना में बेहतर जीवन व्यतीत करते हैं तथा किडनी देने वाला भी बिना किसी परेशानी के सामान्य जीवन जी पाता है। एम्स जोधपुर में बहुत कम लागत पर सरकारी योजना में किडनी प्रत्यारोपण की सुविधा उपलब्ध है। किडनी प्रत्यारोपण के इच्छुक व्यक्ति एम्स के नेफ्रोलॉजी या यूरोलॉजी विभाग में संपर्क कर सकते हैं।