मेवाड़ के लोकनृत्य गवरी को देखने उमड़े दर्शक
- सायरा के तरपाल गांव में गवरी मंचन
- कलाकारों ने दर्शकों को खूब हंसाया
जोधपुर/गोगुन्दा,मेवाड़ के लोकनृत्य गवरी को देखने उमड़े दर्शक। गवरी में लोगों के मनोरंजन के लिए कलाकारों ने एक से बढ़कर एक शानदार खेलों का मंचन किया गया।वास गांव के समीप नरसिंहपुरा से गवरी का आगमन हुआ। तरपाल में गवरी मंचन के द्वारा हिंदी मेवाड़ी और मारवाड़ी भाषा के द्वारा दर्शकों को हंसाया। सायरा के तरपाल में नरसिंहपुरा के युवा एवं बुजुर्ग कलाकारों ने गवरी नृत्य में अपनी पारंपरिक नृत्य का प्रदर्शन किया।
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गवरी के मंचन में कलाकारों ने लोहार,कंजर,मीणा,बंजारा आदि कई प्रसंगों पर कलाकारों ने प्रस्तुति दी गई। तरपाल के मुख्य चौराहा पर लोगों की भारी भीड़ देखने को मिली। विशेषकर राजा रानी के खेल में दर्शको ने खूब ठहाके लगाए।
परम्परानुसार वनवासियों के इस गवरी नृत्य से गांवों में उल्लास का माहौल है। भील समाज के लोगों ने विभिन्न खेलों की प्रस्तुति देते हुए दर्शकों को रात दो बजे तक बांध कर रखा। कलाकारों के मनोरंजन से दर्शक रात तक बैठे रहे और गवरी के समाप्ति के बाद भी देर तक लोग वहां रुके रहे।
सुबह लोगों ने चौराहा पर बोरियां बिछाना शुरू कर दिया। कलाकारों ने हंसाने के अंदाज से लोगों को तालियां बजाना शुरू कर दिया। तरपाल के आसपास गवरी का मंचन किया जा रहा है।
अरावली की पहाड़ियों में बसे आदिवासी भीलों से ही नही उदयपुर के आसपास गवरी का जब मंचन होता है तो काफी संख्या में दर्शकों की भीड़ उमड़ पड़ती है। गोगुन्दा क्षेत्र में इन दिनों गवरी की धूम है।
तरपाल में गवरी को निमंत्रण देकर लाने वाले लोगों ने व्यवस्था और खानपान की पूरी व्यवस्था की गई।इस अवसर पर बाबूलाल सुथार, बंसी लाल सुथार,मनोहर सिंह राजपूत,देवी सिंह राजपूत, नारायण दर्जी,नाना लाल सुथार,शांतिलाल बम्बोरी,शांतिलाल गलिवाला, भैरूलाल बम्बोरी,हिमत भोगर,हीरा लाल ढालावत आदि ने कामकाज के लिए हांथ बटाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की गई।