छोटे चीरे से हुई मरीज की सफल बाईपास सर्जरी
- एमडीएमएच के उत्कर्ष कार्डियोथोरेसिक विभाग में हुआ ऑपरेशन
- छोटे चीरे से हृदय की बंद एवं संकुचित धमनियों को बाईपास कर खून का संचार स्थापित किया
- मिड कैब एमआई सीएस-मिनिमली इनवेसिव कार्डियक सर्जरी
- पहले इस ऑपरेशन की प्रणाली के लिए मरीजों को अन्य राज्यों तथा मेट्रो शहरों में जाना पड़ता था
जोधपुर,शहर के डॉ. एसएन मेडिकल कालेज के मथुरा दास माथुर अस्पताल के नवनिर्मित उत्कर्ष कार्डियोथोरेसिक विभाग में छोटे चीरे से हुई मरीज की सफल बाईपास सर्जरी। मिडकैब तकनीक से मैक्स अस्पताल दिल्ली के डॉक्टरों की टीम के साथ मिलकर किया गया यह सफल बाईपास सर्जरी। इस प्रक्रिया में छोटे चीरे से हृदय की बंद एवं संकुचित हुई धमनियों को बाईपास कर खून का संचार वापस स्थापित किया जाता है।
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डॉ सुभाष बलारा (सीटीवीएस विभागअध्यक्ष) ने बताया कि प्रताप नगर,जोधपुर निवासी किशन सोलंकी, पिछले 2 हफ्ते से छाती के दर्द से पीड़ित थे,इस बीमारी को लेकर वह मथुरा दास माथुर अस्पताल के कार्डियोथोरेसिक विभाग में भर्ती हुए जहां उनका पूर्ण स्वास्थ्य परीक्षण, इको और एंजियोग्राफी कराने के बाद पता चला कि मरीज कोरोनरी आर्टरी डिजीज बीमारी से ग्रसित है (हृदय की खून की धमनियों में ब्लॉकेज) अतः ऑपरेशन का निर्णय लिया गया। पहले मिड कैब (एमआई सीएस -मिनिमली इनवेसिव कार्डियक सर्जरी) ऑपरेशन की प्रणाली के लिए मरीजों को अन्य राज्यों तथा मेट्रो शहरों में जाना पड़ता था और यह इलाज भी काफी महंगे हैं जो अमूमन आमजन के पहुंच से बाहर है परंतु अब यह सुविधा जोधपुर मेडिकल कॉलेज में मुख्यमंत्री चिरंजीवी बीमा योजना में निःशुल्क उपलब्ध है।
इस सर्जरी को छोटे चीरे से किया जाता है जिससे मरीज को ऑपरेशन के पश्चात दर्द कम होता,रिकवरी जल्दी होती है तथा ऑपरेशन का निशान भी छोटा होता है। मैक्स अस्पताल दिल्ली के डॉ. वैभव मिश्रा (सीटीवीएस सर्जन) ने उत्कर्ष ग्रुप के संस्थापक डॉ निर्मल गहलोत को नवनिर्मित उत्कर्ष कार्डियोथोरेसिक विभाग में विश्व स्तरीय सुविधाएं के लिए बधाइयां दी।
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डॉ वैभव ने बताया कि मिडकैब(एमआईसीएस) सर्जरी को छाती के बाऺई साइड से फोर्थ इंटरकोस्टल स्पेस से बिना मुख्य हड्डी (स्टारनम) को काटे किया जाता है। इस प्रक्रिया में ज्यादातर आर्टिरियल ग्राफ्ट के जरिए ब्लॉग्ड हुई धमनी को बाईपास किया जाता है जिससे रक्त का संचार वापस शुरू हो जाता है। ग्राफ्ट पेटेंसी तथा लोंगेविटी भी ज्यादा होती है।
डॉ वैभव मिश्रा एवं मथुरादास माथुर अस्पताल के कार्डियोथोरेसिक विभाग के अध्यक्ष डॉ सुभाष बलारा और डॉ.अभिनव सिंह(सहायक आचार्य) ने मिलकर मिडकैब(एमआईसीएस) तकनीक से मरीज का सफल बाईपास ऑपरेशन किया। इस ऑपरेशन में एनेस्थीसिया विभाग के सीनियर प्रोफेसर डॉ राकेश करनावत तथा डॉ शिखा सोनी (सह आचार्य) शामिल थे।
डॉ अभिनव सिंह (सहायक आचार्य सीटीवीएस) ने बताया कि कोरोनरी आर्टरी डिजीज हृदय में मौजूद रक्त धमनियों को प्रभावित करती है। जिसका मुख्य कारण डायबिटीज, हाई ब्लडप्रेशर,हाइपर्कोलस्ट्रोलीमिया, फैमिली हिस्ट्री,सिडेंटरी लाइफ़स्टाइल एवं स्ट्रेस होता है। ज्यादातर मामलों में धमनियों में वसा एवं क्लॉट जमा हो जाने से ह्रदय के प्रभावित हिस्से में खून का संचार रुक जाता है और मरीज को हार्ट अटैक आ जाता है, जिसके परिणाम गंभीर हैं। इसलिए समय रहते उपचार अत्यंत आवश्यक है।
ऑपरेशन के पश्चात मरीज का इलाज सीटीआईसीयू मे चल रहा है जहां वह पूर्णता स्वस्थ है। डॉ एसएन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल व नियंत्रक डॉ दिलीप कछवाहा तथा एमडीएम अस्पताल के अधीक्षक डॉ विकास राजपुरोहित ने डॉक्टरों की टीम को बधाई दी तथा मेडिकल कॉलेज के प्रवक्ता डॉ जयराम रावतानी ने बताया कि यह ऑपरेशन मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना के तहत निःशुल्क किया गया।
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