जोधपुर, एम्स के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी व रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग ने मिलकर सफलतापूर्वक 20 वर्षीय भोपालगढ़ निवासी युवती के पैर में कैंसर की गाँठ को सर्जरी से निकाल कर ब्रेकीथेरेपी कैथेटर तकनीक से आंतरिक रेडियोथेरेपी देकर पैर को बचाया।
एम्स जोधपुर के निदेशक डॉ संजीव मिश्रा ने बताया कि ब्रेकीथेरेपी तकनीक से इस प्रकार के ट्यूमर में ज़्यादा कारगर तरीक़े से ट्यूमर बेड पर रेडीयोथेरेपी दी जा सकती है। इसमें इस तकनीक के साथ में इक्स्टर्नल बीम रेडीयोथेरेपी भी दी जाती है।
इसमें मरीज़ के दाएँ पैर में घुटने के नीचे काफ़ी बड़ी कैंसर की गाँठ फ़िबुला नाम की बोन से उत्पन होकर आसपास के टिश्यूज़ में फ़ेलकर के लगभग दो तिहाई हिस्से को क़रीब 20 सेंटीमीटर तक घेरे हुए थी। ये पैर की कुछ खून व तंत्रिका नसों से भी चिपकी हुईथी।
इससे पहले मरीज़ का एक बार ऑपरेशन अन्यत्र किसी अस्पताल में हो चुका था और इसके बाद ये गाँठ वापिस बन गयी थी। इस वजह से भी कैंसर को पूरी तरह से निकालना व पैर को बचाना भी चुनोति पूर्ण था। बायोप्सी में कैंसर की गाँठ कोंड्रोसार्कोमा नामक कैंसर बीमारी निकली।
मरीज़ को सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के सह आचार्य डॉ जीवन राम विश्नोई की देखरेख में भर्ती किया गया। पहले सिटी स्कैन व बोन स्कैन करवा के ये निश्चित किया गया कि कहीं और अंगो में फ़ेला हुआ तो नहीं है। मरीज़ के इलाज का प्लान संस्थान निदेशक डॉ संजीव मिश्रा के दिशानिर्देशन में डॉ जीवन राम विश्नोईए, डॉ पुनीत पारीक, विभागाध्यक्षए डॉ भारती देवनानी, सहायक आचार्यने मिलकर निर्धारित किया।
इस परिस्थति में पाँव को घुटने के ऊपर से काटने के अलावा सीमित विकल्प ही थे। इसके लिए मरीज़ की एमआरआई व सिटी स्कैन का बारीकी से अध्ययन करके पैर को बचाने की सर्जरी प्लान की गयी तथा सर्जरी के दोरान ही ब्रेकीथेरेपी कैथेटर लगाने का फ़ैसला किया गया। इस ऑपरेशन में पैर के फ़िबुला बोन के साथ में पैर के साइड व पीछे की मांसपेशियाँ व सॉफ़्ट टिश्यूज़, स्किन व कुछ नसें भी निकाली गयीं। ये ऑपरेशन डॉ जीवन राम विश्नोई की टीम ने किया।
उनके साथ टीम में डॉ निवेदिता शर्मा, सहायक आचार्य डॉ धर्माराम पुनिया, सहायक आचार्य डॉ राजेन्द्र, डॉ अल्केश, डॉ अरविंद, सीनियर रेज़िडेंट एनेस्थेसिया से डॉ प्रियंका सेठी,सह आचार्य डॉ वैष्णवी,सीनियर रेज़िडेंट नर्सिंग में तीजो चौधरी, इबा खरनीयोरव राजेंद्र थे। इसके बाद ऑपरेशन के दोरान ही रेडीयोथेरेपी विभाग में सहायक आचार्य डॉ भारती देवनानी की टीम ने ब्रेकीथेरपी कैथेटर लगाए। उनके साथ डॉ अमित व डॉ सुजोय थे।
सर्जरी के बाद में रेडीयोथेरेपी विभाग में डॉ पुनीत पारीक, डॉ भारती देवनानी, डॉ आकांक्षा सोलंकी व फ़िजीसिस्ट सुमंता व जोस्मिन ने सिम्युलेशन करके बारीकी से ट्यूमर बेड के लिए उपयुक्त प्लान की संरचना की। इसमें अत्याधुनिक मशीन से इरिडीयम रेडीओ ऐक्टिव सौर्स से इंटर्स्टिशलब्रेकीथेरेपी कैथेटर तकनीक द्वारा रेडियोथेरेपी दी गई।
सर्जरी के पाँच दिन बाद में लगातार तीन दिन तक सुबह व शाम को मिलाकर के 16 ग्रे मात्रा की रेडीयोथेरेपी दी। उसके बाद में कैथेटर निकालकर डिस्चार्ज कर दिया गया। घाव भरने व टाँके निकलने के बाद लगभग 1 महीने पश्चात बाह्य रेडीयोथेरेपी (इबिआर्टी) का प्लान किया गया है। चिकित्सा अधीक्षक डॉ एम के गर्ग ने बताया की इस तकनीक से ऐसे बहुत से मरीज़ लाभान्वित होंगे।