कमिश्नरेट के तीन पुलिस निरीक्षकों को सस्पेंड करने की सिफारिश

  • डोडा-पोस्त तस्कर से 35 लाख की रिश्वत लेने का आरोप
  • हाईकोर्ट ने एसीबी की भूमिका भी संदिग्ध मानी

जोधपुर,कमिश्नरेट के तीन पुलिस निरीक्षकों को सस्पेंड करने की सिफारिश।एनडीपीएस एक्ट के एक मामले में 35 लाख रिश्वत के आरोप में राजस्थान हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान जोधपुर कमिश्नरेट के तीन पुलिस निरीक्षकों को सस्पेंड करने की सिफारिश की है।

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साथ ही एक डिप्टी एसपी की भूमिका को संदिग्ध मानकर जांच के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने अब प्रकरण में अगली सुनवाई 17 अक्टूबर मुकर्रर की है। मामले में कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर कोई तस्कर है तो क्या आप डाकू बनकर लूट लेंगे उसे? जंगल राज बना दिया सबने मिलकर। ऐसे तो पुलिस और एसीबी का विश्वास उठ जाएगा लोगों में।

दरअसल गत वर्ष डोडा पोस्त तस्कर से थानाधिकारी जितेंद्र सिंह पर 35 लाख रिश्वत लेने आरोप लगा था। मामला दर्ज होने पर एसीबी से जांच करवाई गई थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने एसीबी की जांच को भी संदिग्ध मानते हुए जांच सीबीआई को सौंपने के आदेश दिए हैं।

हाईकोर्ट के जस्टिस फरजंद अली खान की कोर्ट ने मामले में इस मामले में सख्ती दिखाई। थानाधिकारी जितेंद्र सिंह,जांच अधिकारी शफीक मोहम्मद और एक अन्य एसएचओ देवेंद्रसिंह देवड़ा को सस्पेंड किए जाने की सिफारिश की है। मामले में एसीबी के जांच अधिकारी की भूमिका को भी संदिग्ध माना है। कोर्ट ने डीजीपी से कहा कि वह एसीबी के जांच अधिकारी सहित इस मामले में सभी संदिग्धों के खिलाफ उचित कार्रवाई करें।

इसी मामले को लेकर अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को होगी। कोर्ट ने जांच का रिकॉर्ड अपने कब्जे में ले लिया गया है और एसीबी को नोटिस जारी किया।

यह है मामला
बासनी पुलिस ने गत वर्ष 29 जनवरी को 25 सौ किलो अवैध डोडा पोस्त पकड़ा था जो एक सीमेंट टैंकर में डालकर लादा गया था। तब पुलिस ने एक चालक ओमप्रकाश गुर्जर को पकड़ा था। यह टैंकर किसी स्थान पर खाली होने जा रहा था। यह कार्रवाई शाम के समय हुई थी।

जांच करते हुए पुलिस ने पिता-पुत्र को इसमें मुल्जिम बनाया था। सत्यनारायण और उनके पुत्र मुकेश शर्मा को आरोपी बनाया गया था। केस में हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। जमानत के लिए सत्यनारायण शर्मा की बेल एप्लीकेशन लगा रखी है। उनके पुत्र मुकेश को पहले जमानत दे दी गई थी लेकिन सत्यनारायण की जमानत नहीं हो पाई। अपने अधिक्ता शिवकुमार भाटी के माध्यम से बेल पर सुनवाई के समय सत्यनारायण भाटी ने गिरफ्तारी एवं केस में झूठा फंसाने का आरोप लगाया।

बताया कि उक्त पुलिस अधिकारियों द्वारा उनसे 70 लाख रुपए रिश्वत की डिमाण्ड रखी गई थी। यह भी आरोप लगाया कि उनसे 35 लाख रुपए लिए गए। अधिवक्ता की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि मामला पूरी तरह झूठा है और झूठा फंसाया गया है। शाम को हुई कार्रवाई को लेकर पुलिस की तरफ से रात तीन बजे एफआईआर दर्ज की गई। कोर्ट को मामले से जुड़े सीसीटीवी फुटेज भी उपलब्ध करवाए गए।

मामला संज्ञान में आने पर अब कोर्ट की तरफ से उक्त पुलिस निरीक्षकों के निलंबन की सिफारिश किए जाने के साथ डिप्टी एसपी की भूमिका को भी संदिग्ध मान कर जांच के आदेश दिए है। प्रकरण में अब 17 अक्टूबर को सुनवाई होगी।