जैन संतों का शहर में विहार

जोधपुर, जैन समाज का महापर्व पर्यूषण 4 सितंबर से शुरू हो रहे हैं। इसको लेकर जैन समाज के संतों का विहार शहर में होने लगा है। जैन संत इस बार कोविड को ध्यान में रखते हुए ऑनलाइन प्रवचन भी देंगे। पर्यूषण चातुर्मास का अहम पर्व माना जाता है। जैन समाज के अनुयायी इस समय जैन संतों के सानिध्य में रहकर अपने मन कर्म वचनों को निभाते हैं। इधर शहर में अब भी चातुर्मास के चलते जैन संतों का प्रवचन का कार्यक्रम जारी है। पावटा बी रोड स्थित चौरडिय़ा भवन में चल रहे चातुर्मास कार्यक्रम में 4 सितम्बर से प्रर्यूषण पर्व श्रद्धा एवं भक्ति भाव के साथ मनाया जाएगा। अखिल भारतीय स्थानक वासी जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में धर्म, आराधना, तप तथा प्रवचन सहित धार्मिक प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा।

संत पदमचंद्र ने समझाई चौथ व्रत की महिमा

इधर गुरूवार को डा.पदमचन्द्र ने महावीर के चौथ व्रत के बारे में समझाया। उन्होंने कहा कि मानवमात्र के कल्याण के लिए भगवान महावीर स्वामी ने बारह व्रत बताए हैं। भगवान महावीर के श्रावक व्रत से समाज में नैतिकता, प्रमाणिकता सदाचार बना रहता है तथा अराजकता नहीं फैलती। कामभोगों में सुख नही मिलता। कामभोगों में जितना डूबोगे मन उतना ही भड़क़ेगा। चौथे व्रत में पति-पत्नी को एक दूसरे के प्रति समर्पित रहने की सीख मिलती है। उन्होंने श्रावक के लिए निर्मित ब्रह्मचर्य के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला।

ब्रह्मचर्य एक तीर्थ

महासती  शुभमप्रभा ने अपने प्रवचन में कहा कि ब्रह्मचर्य एक तीर्थ है। उसमें स्नान करने वाला कर्म व्यय कर मोक्ष में जाएगा। नेत्र से गुरु दर्शन,भगवत दर्शन के सिवाय पाप का प्रवेश होता है। कानों से धर्म श्रवण होता है। नेत्रों से कुदृश्य देखकर काम विकार उत्पन्न हो सकते हैं। इसलिए नेत्रों  को संयमित रख कर पाप से बचें।

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