सिंधी सारंगी के पारंगत कलाकार माने जाते है लाखा खान

जोधपुर, थार के रेतीले धोरों की मखमली मिट्‌टी के समान लोक संगीत की सुरीली स्वर लहरियां बिखेर कर पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाने वाले, लोक संगीत के जानेमाने हस्ताक्षर लाखा खान को पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। जोधपुर के छोटे से गांव रानेरी से निकल कर उन्होंने लोक संगीत को पूरी दुनिया में पहुंचा दिया। उनके सम्मान को लोक संगीत के सम्मान के रूप में देखा जा रहा है। सिंधी सारंगी के दिग्गज कलाकार माने जाने वाले लाखा खान को पहले भी राजस्थानी लोक संगीत को बढ़ाना देने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है। देश-विदेश में सबसे मुश्किल माने जाने वाली सिंध की 27 स्ट्रिंग की सारंगी के वे सबसे बेहतरीन कलाकार माने जाते हैं। लोक संगीत को पूरी दुनिया में पहचान दिलाने के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन लगा दिया। क्लासिक और लोक संगीत के धनी लाखा खान किसी परिचय के मोहताज नहीं है। मांगणयार समुदाय के इस कलाकार ने अपनी पूरा जीवन लोक कला को बढ़ावा देने में लगा दिया। उन्होंने भजन के अलावा सूफी कलाम भी गाए। वे हिन्दी, मारवाड़ी, सिंधी, पंजाबी और मुल्तानी भाषा के अच्छे जानकार है। इन सभी भाषाओं में उन्होंने लोक गीत गाए हैं। लाखा के संगीत को किसी सीमा में बांध कर नहीं देखा जा सकता। लाखा खान और ढोलक बजाने वाले उनके पुत्र दाने खान की संगत को मंच पर देखना एक अलग ही अहसास प्रदान करता है। संगीत प्रेमी इन दोनों की जुगलबंदी के दीवाने है। जोधपुर के रानेरी गांव में मंगणयार समुदाय में जन्मे लाखा खान को संगीत अपने परिवार से विरासत में मिला। बहुत छोटी उम्र में उनकी संगीत की शिक्षा मुल्तान के मंगणयार स्कूल में शुरू हो गई। जोधपुर के लोककला मर्मज्ञ कोमल कोठारी ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें अलग मुकाम पर ले गए। साठ के दशक में उनकी पहली सार्वजनिक प्रस्तुति कोमल दा के सहयोग से ही संभव हो पाई। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। यूरोप, इंग्लैंड, रूस और जापान में उन्होंने अपने बेहतरीन लोक संगीत का ऐसा जादू बिखेरा की लोग उनके मुरीद हो उठे। वर्ष 2013 में वे पहली बार अमेरिका गए। वहां उन्होंने अलग ही पहचान बनाई। यहीं कारण है कि इसके बाद वे छह बार अमेरिका का दौरा कर चुके है लाखा खान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाले जोधपुर रिफ की शान माने जाते हैं। वे हर बरस दुनिया के विभिन्न स्थान से आने वाले नामी संगीतकारों के साथ जुगलबंदी करते नजर आते है। सूफी संगीत में उन्होंने महारत हासिल है।
लोक संगीतकार लाखा खान मांगणियार को पद्मश्री दिए जाने की घोषणा पर रूपायन संस्थान के सचिव कुलदीप कोठारी ने कहा कि यह बड़े गर्व की बात है कि पद्मश्री की सूची में लोक संगीतकार लाखा खान मांगणियार के नाम की घोषणा की गई है। मुझे लाखा खान मंगणियार की छवि को रूपायन संस्थान अभिलेखागार से साझा करने में खुशी हो रही है, जो राजस्थान के लोक संगीत पर सबसे बड़े हस्ताक्षर में से एक हैं। पद्म भूषण स्व.कोमल कोठारी के साथ उनका जुड़ाव पचास साल या शायद उससे अधिक था। वह निस्संदेह राजस्थान,कच्छ और पाकिस्तान के हिस्से के पूरे थार रेगिस्तान क्षेत्र के बेहतरीन लोक संगीतकारों में से एक हैं। वे एक जन्मजात प्रतिभाशाली गायक होने के साथ-साथ विगत एक सदी में पूरे मंगणियार समुदाय के बीच एक वाद्य-वादक थे। वह एकमात्र जीवित मंगणियार हैं जो पाइल्डर सारंगी बजा रहे हैं, जो लंगड़ा सिंधी सारंगी से अलग है। मारवाड़ी और सिंधी दोनों में लोकगीतों और भक्ति गीतों की उनकी विस्तृत श्रृंखला अगली पीढ़ी के लिए एक दिशानिर्देश बन गई है। उन्होंने दुनिया के सर्वश्रेष्ठ संगीतकारों जैसे पंडित रविशंकर, याहुडी मीहुहिम, सुल्तान खान, जाकिर खान जैसे कई प्रसिद्ध कलाकारों के साथ काम किया। उन्हें कई राज्य और राष्ट्रीय पुरस्कार मिले, सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार राष्ट्रीय संगीत अकादमी से बीस साल पहले मिला। वे 1980 से संगीत यात्रा कर रहे हैं। उन्होंने लंगा संगीतकार समुदाय के दर्जनों छात्रों को भी पढ़ाया है। वे वास्तव में राजस्थान के पारंपरिक और पीढ़ीगत लोक संगीत में अपने शानदार व्यक्तित्व के लिए अधिक से अधिक पुरस्कार के हकदार हैं। हम सभी उनके समर्पण के लिए शुभकामनाएं देते हैं और उनके लंबे जीवन के लिए प्रार्थना करते हैं, पद्मश्री अनवर खान मांगणियार, गाजी खान, खेते खान, मामे खान, हयात मोहम्मद लंगड़ा, मेहरुद्दीन खान लंगड़ा जैसे कई कलाकारों का वे साथ देते हैं।